नेपाल में हुए युवा विद्रोह और तख्तापलट के बाद यह सवाल उठ गया है कि क्या यह स्वत:स्फूर्त था या फिर पूरा दक्षिण एशिया किसी डिज़ाइन के तहत अशांत है। नेपाल में वही पैटर्न दिखा है जो श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) में दिखा था जहाँ अचानक सड़कों पर उतरे नौजवानों ने ऐसा तख्तापलट किया कि शासकों को देश छोड़कर भागना पड़ा। निश्चित ही ये आंदोलन आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और असमानता के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा दिखाते हैं लेकिन जिस आसानी से तख्तापलट हुआ वह किसी और तरफ़ भी इशारा करता है। खासतौर पर तख्तापलट के बाद ऐसी सरकारें बनीं जो अमेरिका की तरफ़ नरम थीं जबकि पहले वहाँ की सरकार पर चीन का ज़्यादा प्रभाव था। ऐसे में दक्षिण एशिया में जो हो रहा है, वह चीन और अमेरिका के बीच जारी वर्चस्व की जंग का नतीजा भी हो सकता है।

श्रीलंका

2022 में श्रीलंका आर्थिक संकट से गुज़र रहा था। ईंधन, दवाइयों, और खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे परिवार पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के गंभीर आरोप लगे। विश्व बैंक के 2022 के आंकड़ों के अनुसार 25% से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी, बेरोजगारी दर 7.2% थी, और युवा बेरोजगारी 20% से अधिक थी। प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा। गोटबाया के बाद रानिल विक्रमसिंघे जुलाई 2022 में राष्ट्रपति बने। उनकी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) का पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के साथ पुराना रिश्ता रहा है। श्रीलंका ने IMF से आर्थिक मदद ली, जिसे अमेरिकी प्रभाव से जोड़ा जाता है। हालांकि, 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा डिसानायके 42% वोटों के साथ जीते, जो श्रीलंका के इतिहास में एक नया मोड़ माना गया।
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बांग्लादेश (2024)

बांग्लादेश में आंदोलन की शुरुआत सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए आरक्षण के विरोध से हुई, लेकिन यह जल्द ही भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और शेख हसीना की तानाशाही नीतियों के खिलाफ व्यापक विद्रोह में बदल गया। बांग्लादेश की 14.5% आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी, बेरोजगारी दर 5.3% थी, और युवा बेरोजगारी 15% से अधिक थी। 5 अगस्त 2024 को हिंसक प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए, और हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी। 8 अगस्त 2024 को नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी। यूनुस के अमेरिका और पश्चिमी देशों से पुराने संबंध हैं, खासकर उनकी माइक्रोफाइनेंस पहल ‘ग्रामीण बैंक’ के जरिए उनकी अच्छी पहचान बनी थी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उनकी नियुक्ति पश्चिमी हितों को ध्यान में रखकर की गई।

नेपाल (2025)

नेपाल में 4 सितंबर 2025 को केपी शर्मा ओली सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया, जिसने युवाओं में आक्रोश पैदा किया। 8 सितंबर को हिंसा भड़क उठी; संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, और राष्ट्रपति भवन पर हमले हुए। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर में आग लगने से उनकी पत्नी बुरी तरह ज़ख़्मी हो गयीं। सेना चुप रही और उसने प्रधानमंत्री के.पी.ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। अब तक 30 लोगों की मौत और 1,000 के करीब घायल होने की खबर है। 9 सितंबर को सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने देश को संबोधित किया। उनके पीछे राजा पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर थी, जिसने राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की मांग को हवा दी। 

क्या ये आंदोलन स्वत:स्फूर्त थे? श्रीलंका, बांग्लादेश, और नेपाल में आंदोलन शुरू में गैर-राजनीतिक लगे, लेकिन बाद में इन्होंने जो दिशा ली उसके पीछे किसी डिज़ाइन के संदेह के भी पर्याप्त कारण हैं।

आर्थिक बदहाली

आंदोलनों के पीछे आर्थिक बदहाली और असमानता प्रमुख कारक थे। लेकिन ऐसी स्थिति तो भारत में भी है।
श्रीलंका:
  • गरीबी: 2022 में 25% से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे।
  • बेरोजगारी: 7.2%, युवा बेरोजगारी 20% से अधिक।
  • प्रति व्यक्ति आय: $3,354 (2021), Gini Coefficient 0.39 (उच्च असमानता)।
बांग्लादेश:
  • गरीबी: 2022 में 14.5% आबादी गरीबी रेखा से नीचे।
  • बेरोजगारी: 2024 में 5.3%, युवा बेरोजगारी 15% से अधिक।
  • प्रति व्यक्ति आय: $2,688 (2023), Gini Coefficient 0.32 (मध्यम असमानता)।
नेपाल:
  • गरीबी: 2023 में 17% आबादी गरीबी रेखा से नीचे।
  • बेरोजगारी: 2025 में 11.4%, युवा बेरोजगारी 20% से अधिक।
  • प्रति व्यक्ति आय: $1,340 (2023), Gini Coefficient 0.33 (मध्यम असमानता)।
भारत:
  • गरीबी: 2022 में 12.9% आबादी गरीबी रेखा से नीचे।
  • बेरोजगारी: 2025 में 5.1% (MoSPI), युवा बेरोजगारी 20-25%।
  • प्रति व्यक्ति आय: $2,878 (2025, IMF), प्रति माह ₹19,571। Gini Coefficient 0.42 (उच्च असमानता)।
  • संपत्ति वितरण: 1% सबसे अमीर लोगों के पास 40.5% संपत्ति, 10% के पास 60%, और 50% सबसे गरीब लोगों के पास केवल 3% (Oxfam, 2023)।
  • भुखमरी सूचकांक: 2024 में 105वाँ स्थान (GHI, स्कोर 27.3, गंभीर श्रेणी)।
  • वैश्विक रैंकिंग: नाममात्र प्रति व्यक्ति आय में 142वाँ, PPP में 125वाँ स्थान।
Gini Coefficient असमानता को मापने का पैमाना है, जहां 0 पूर्ण समानता और 1 पूर्ण असमानता दर्शाता है। भारत का 0.42 का Gini Coefficient उच्च असमानता को दर्शाता है, जो श्रीलंका (0.39), बांग्लादेश (0.32), और नेपाल (0.33) से अधिक है।
विश्लेषण से और

BRI और MCC

श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के सदस्य हैं। चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट में निवेश किया है। उधर, बांग्लादेश में भी उसने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया। नेपाल में भी BRI के तहत हाइड्रोपावर और सड़क परियोजनाओं पर काम हो रहा है। चीन से काठमांडू तक ट्रेन लाने की योजना है। BRI को 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने लॉन्च किया था। यह एशिया, अफ्रीका, और यूरोप को सड़क, रेल, और समुद्री मार्गों से जोड़ने की परियोजना है। यह अमेरिका के लिए चुनौती है, जो दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को कम करना चाहता है। 

अमेरिका दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। वह बंगाल की खाड़ी में सैन्य अड्डा भी चाहता था और कहा जाता है कि शेख़ हसीना इसके लिए तैयार नहीं हुईं जिसका उन्हें नतीजा भोगना पड़ा। अमेरिका ने नेपाल में मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) के तहत $697 मिलियन की दी है। 2017 में हस्ताक्षरित इस सहायता परियोजना का उद्देश्य बिजली और सड़क परियोजनाओं को बढ़ावा देना है, लेकिन इसे अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति से जोड़ा जाता है। जनवरी 2025 में ट्रंप के आदेश ने MCC को निलंबित किया, लेकिन जुलाई 2025 में इसे फिर शुरू किया गया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि MCC जैसे प्रोजेक्ट्स ने नेपाल में सत्ता परिवर्तन को प्रभावित किया, क्योंकि भारी धनराशि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, जो सत्ता परिवर्तन की आग में घी डाल सकती है।
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यूएस-चीन में वर्चस्व की जंग

दरअसल, अमेरिका दक्षिण एशिया में चीन की बढ़त रोकना चाहता है और तीनों देशों में हुए सत्ता परिवर्तन के पीछे कहीं न कहीं उसका भी हाथ है। दक्षिण चीन सागर में चीन का दबदबा है, जहां वह कृत्रिम द्वीप बना रहा है। मालदीव, श्रीलंका, और बांग्लादेश में बंदरगाहों के जरिए चीन प्रभाव बढ़ा रहा है। अमेरिका जानता है कि चीन की योजना आर्थिक महाशक्ति बनना है जो उसके लिए परेशान करने वाली बात है। राष्ट्रपति ट्रंप का टैरिफ़ वार भी चीन को झुका नहीं सका है।

और भारत?

नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश की तरह भारत में भी कई मोर्चों पर स्थिति गंभीर है।
  • बेरोजगारी: 2025 में 5.1% (MoSPI), लेकिन युवा बेरोजगारी 20-25% तक।
  • आय असमानता: Gini Coefficient 0.42, 1% अमीरों के पास 40.5% संपत्ति।
  • भुखमरी: 2024 में GHI में 105वाँ स्थान, गंभीर श्रेणी।
  • प्रति व्यक्ति आय: $2,878 (2025), प्रति माह ₹19,571, विश्व में 142वाँ स्थान।
इन समस्याओं के बावजूद, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था ($4 ट्रिलियन GDP, विश्व में चौथी) और सांस्कृतिक एकता इसे स्थिर बनाती है। महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की विरासत ने भारत को हिंसक विद्रोहों से बचाया है। विपक्ष, खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, मोदी सरकार पर लगातार आक्रामक हैं। वोट चोरी के मुद्दे को घर-घर पहुँचा रहे हैं लेकिन परिवर्तन के लिए हमेशा अहिंसक रास्ते पर जोर देते हैं। अब यह सरकार पर है कि वह संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा बनाये रखने में योगदान दे ताकि लोगों का भरोसा व्यवस्था पर बना रहे।