13 जून, 2025 की सुबह, जब दुनिया की नज़रें मिडिल ईस्ट पर टिकी थीं, इसराइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले किए। नतांज़ और फोर्डो में धमाकों की गूँज, छह शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या, और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी की मौत ने विश्व को स्तब्ध कर दिया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात थी कि इन हमलों में इस्तेमाल हुए ड्रोन ईरान के अंदर से ही उड़े। इस खतरनाक मिशन का मास्टरमाइंड थी इसराइल की रहस्यमयी और खूंखार जासूसी एजेंसी—मोसाद। आखिर मोसाद है क्या, जिसने ईरान को इतना बड़ा नुकसान पहुँचाया?
शांति के लिए ख़तरा बनी इसराइल की जासूसी एजेंसी मोसाद की जन्म-कथा!
- विश्लेषण
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- 17 Jun, 2025

इसराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया की सबसे घातक जासूसी एजेंसियों में गिना जाता है। जानिए इसकी रहस्यमयी शुरुआत, संचालन के तरीके और क्यों यह विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा मानी जाती है।
ईरान पर मोसाद का कहर
13 जून, 2025 को इसराइल ने 'ऑपरेशन राइज़िंग लायन' शुरू किया, जिसने ईरान के परमाणु ठिकानों, मिसाइल बेस, और सैन्य अड्डों को निशाना बनाया। इन हमलों के पीछे ईरान की ख़ुफ़िया एजेंसी ‘मोसाद’ की सटीक योजना थी। सालों पहले, मोसाद ने ईरान के अंदर गुप्त ड्रोन बेस और हथियार सिस्टम तैयार कर लिए थे। तेहरान के पास एस्पाज़ाबाद बेस पर मिसाइल लॉन्चर को नष्ट करने के लिए मोसाद ने रात में ड्रोन सक्रिय किए। मध्य ईरान में कमांडो दस्तों ने हवाई रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय कर दिया।