जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के सभी राजनीतिक दल एक बार फिर एकजुट हो रहे हैं ताकि वे राज्य की विशेष स्थिति की बहाली और स्वायत्तता की माँग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बना सकें और इसके लिए संघर्ष को ज़मीनी स्तर पर उतार सकें। लेकिन राज्य की बदली हुई सियासी स्थिति, जनता के बीच इन दलों की विश्वसनीयता ख़त्म होने से उपजे संकट, इन दलों में आपसी मतभेद और स्पष्ट मक़सद की कमी के कारण इसके शुरू होने से पहले ही कई सवाल खड़े होते हैं।
कश्मीर की विशेष स्थिति बहाल करने की मांग कर रहे नेताओं की कितनी साख?
- विश्लेषण
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- 15 Oct, 2020

सवाल यह उठता है कि ज़मीनी स्तर पर इन नेताओं की क्या स्थिति है, ग्रास रूट स्तर पर इन दलों के कितने कार्यकर्ता सक्रिय हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि जनता के बीच उनकी कैसी पकड़ है, उनका क्या आधार है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इन दलों की कश्मीरी जनता के बीच विश्वसनीयता लगभग ख़त्म हो चुकी है।