जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के सभी राजनीतिक दल एक बार फिर एकजुट हो रहे हैं ताकि वे राज्य की विशेष स्थिति की बहाली और स्वायत्तता की माँग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बना सकें और इसके लिए संघर्ष को ज़मीनी स्तर पर उतार सकें। लेकिन राज्य की बदली हुई सियासी स्थिति, जनता के बीच इन दलों की विश्वसनीयता ख़त्म होने से उपजे संकट, इन दलों में आपसी मतभेद और स्पष्ट मक़सद की कमी के कारण इसके शुरू होने से पहले ही कई सवाल खड़े होते हैं।