महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के करीब डेढ़ साल के इंतज़ार के बाद आए फ़ैसले ने इतना तो साफ़ कर ही दिया है कि अब महाराष्ट्र में केवल 'शिंदेशाही' चलेगी। सरकार में ही नहीं, आने वाले चुनाव में भी। इस फ़ैसले का महाराष्ट्र की राजनीति पर दूरगामी असर होगा। एक तरफ़ एकनाथ शिंदे अब सेफ हो गये हैं और अगले कुछ महीनों तक खुलकर खेल सकते हैं तो दूसरी तरफ़ उद्धव ठाकरे गुट को क़ानूनी लड़ाई से आगे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और सिम्पथी लेने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि अब अगला कोई भी बदलाव चुनाव के बाद ही होगा।
महाराष्ट्र: स्पीकर के फ़ैसले के बाद अब चलेगी शिंदे की!
- विश्लेषण
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- 11 Jan, 2024


शिवसेना में बाग़ी विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले के बाद उद्धव खेमे को तो बड़ा झटका लगा ही, लेकिन इससे फायदा किसको हुआ?
लेकिन इन सबके बीच एक तीसरा खेमा भी है बीजेपी का जिसे अब चुनाव तक तो शिंदे की लीडरशिप में ही काम करना होगा। बीजेपी का चेहरा भी अब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ही होंगे और देवेंद्र फडणवीस को फिलहाल साइड सीट से ही काम चलाना होगा। वो अभी तो ये नहीं कह पायेंगे कि मैं फिर आऊँगा। इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे की बारगेनिंग पावर भी इसके साथ ही बढ़ गयी है। वो भी अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतनी सीट तो मांग ही सकते हैं जितने पर उनके विधायक और सांसद जीते यानी विधानसभा की 43 और लोकसभा की 13 सीटें। इससे बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में भी संघर्ष बढ़ेगा।



















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