भारत के पहले ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को 1990 में पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान' से सम्मानित किया गया था जो किसी भारतीय के लिए असाधारण घटना थी। लेकिन यह सम्मान विवादों का कारण बन गया। हाल के दिनों में, राजनीतिक गलियारों में उनके इस सम्मान और उनके कार्यकाल से जुड़े कुछ गंभीर आरोप फिर से चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि उनकी वजह से पाकिस्तान में रॉ यानी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी का पूरा नेटवर्क ध्वस्त हो गया था।
हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत में उपजी राजनीतिक एकता की जगह अब तल्खी ने ले ली है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री के उस बयान को 'आपराधिक' करार दिया, जिसमें कहा गया कि भारत ने अपने सैन्य अभियान की जानकारी पहले ही पाकिस्तान को दे दी थी। राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि इससे भारत को कितना नुक़सान हुआ और कितने जेट गँवाने पड़े? जवाब में बीजेपी ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी को 'मीर जाफर' बताते हुए एक पोस्टर जारी किया। इस पोस्टर को बीजेपी आईटी सेल के चेयरमैन अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। इसमें पाकिस्तानी आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर और राहुल गाँधी का चेहरा जोड़ दिया गया था। ऐसे समय में, जब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 'ऑपरेशन सिंदूर' और आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये की जानकारी देने दुनिया भर में जा रहा है, इस तरह की टिप्पणियाँ अशोभनीय ही कही जायेंगी।