विवेक अग्निहोत्री की "द बंगाल फाइल्स" 5 सितंबर 2025 को रिलीज़ हुई, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही। 35-50 करोड़ रुपये के बजट वाली इस फिल्म ने पहले दस दिनों में भारत में मात्र 14.15 करोड़ रुपये कमाये। यह "द कश्मीर फाइल्स" (340 करोड़ कमाई) जैसी उनकी पिछली ब्लॉकबस्टर की तुलना में भारी नाकामी है। कश्मीर फाइल्स भी एक प्रोपेगैंडा फ़िल्म थी लेकिन जम्मू-कश्मीर के इतिहास से नावाक़िफ़ लोगों ने जिस आसानी से उसे स्वीकार किया, वैसा ‘द बंगाल फ़ाइल्स’ के साथ नहीं हो पाया। वैसे बीते दिनों आयी ज़्यादातर प्रोपेगैंडा फ़िल्में बॉक्स आफिस पर पिटी ही हैं जो बताता है कि दर्शकों ने इन फ़िल्मों के निर्माण के पीछे छिपी राजनीति को समझ लिया है।
‘द बंगाल फ़ाइल्स’ सहित तमाम प्रोपोगैंडा फ़िल्मों का पिटना नफ़रती राजनीति के अंत की शुरुआत!
- विश्लेषण
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- 17 Sep, 2025

‘द बंगाल फ़ाइल्स’ सहित तमाम प्रोपोगैंडा फ़िल्मों का पिटना नफ़रती राजनीति के अंत की शुरुआत!
‘द बंगाल फ़ाइल्स’ सहित कई प्रोपेगैंडा फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो रहीं। क्या यह नफ़रत आधारित राजनीति के अंत की शुरुआत है? जानें दर्शकों की राय और विश्लेषण।
'द बंगाल फ़ाइल्स’, 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग के ‘डायरेक्ट एक्शन’ के आह्वान और नोआखाली दंगों में हिंदुओं के मारे जाने पर बनायी गयी है। लेकिन विभाजन के समय जिस तरह का माहौल था, उसमें यह एकतरफा चित्रण करती है। नोआखाली में हिंदू मारे गये तो कलकत्ता में मुस्लिम मारे गये थे। फिल्म ब्रिटिश सरकार की शातिर भूमिका को नज़रअंदाज़ करती है और महात्मा गाँधी जैसे राष्ट्रीय नेताओं का माखौल बनाती है।
झूठ का आलम ये है कि फिल्म में दावा किया गया कि गांधी ने हिंदू महिलाओं को बलात्कार से बचने के लिए "जीभ काटने" या "साँस रोकने" की सलाह दी। विवेक अग्निहोत्री ने फ़िल्म रिलीज़ के पहले इसे एक्स पर पोस्ट भी किया था जबकि गांधी ने 18 अक्टूबर 1946 को कहा था, "महिलाएँ अपमान सहने की बजाय विरोध करते हुए जान दे दें।” उन्होंने यह भी कहा था कि नाखून और दाँतों का इस्तेमाल करते हुए लड़ें। लेकिन विवेक अग्निहोत्री ने बलात्कारियों के साथ "सहयोग" की सलाह बना दिया।