द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने ब्रिटेनवासियों को सलाह दी थी कि वह जर्मन फौजों के सामने हथियार उठाने के बजाय सत्याग्रही के तौर पर प्रस्तुत हो जाए। उस वक्त गांधी का सम्मान करने वाले कई ब्रिटिश बौद्धिकों ने कहा कि गांधी की सलाह अहिंसा के लिहाज से उचित हो सकती है, वह भविष्य के लिए सही हो सकती है लेकिन इस समय उस पर अमल करना संभव नहीं है। क्योंकि वह व्यावहारिक नहीं है। गांधी का कहना था कि मेरी सलाह भविष्य के लिए नहीं होती। वह तत्काल अमल के लिए होती है।
इमरजंसी, होलोकास्ट पर कायर नैतिकताः पुराने विवादों पर हल्ला, मौजूदा तानाशाही पर खामोशी
- विश्लेषण
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- 26 Jul, 2025

Gaza, Holocaust and Emergency:नैतिकता के ठेकेदार 50 साल पहले लगी इमरजंसी और सदियों पुराने होलोकास्ट पर खूब शोर मचाते हैं लेकिन ग़ज़ा नरसंहार और भारत के अघोषित आपातकाल पर उनके मुंह सिल जाते हैं। ऐसे ठेकेदारों पर अरुण कुमार त्रिपाठी की टिप्पणीः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।