द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने ब्रिटेनवासियों को सलाह दी थी कि वह जर्मन फौजों के सामने हथियार उठाने के बजाय सत्याग्रही के तौर पर प्रस्तुत हो जाए। उस वक्त गांधी का सम्मान करने वाले कई ब्रिटिश बौद्धिकों ने कहा कि गांधी की सलाह अहिंसा के लिहाज से उचित हो सकती है, वह भविष्य के लिए सही हो सकती है लेकिन इस समय उस पर अमल करना संभव नहीं है। क्योंकि वह व्यावहारिक नहीं है। गांधी का कहना था कि मेरी सलाह भविष्य के लिए नहीं होती। वह तत्काल अमल के लिए होती है।