दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद को पाँच साल बाद भी जमानत नहीं मिली। इस देरी ने भारतीय न्याय व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सीएए के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, खासकर दिल्ली के शाहीन बाग में, जहां महिलाओं ने महीनों तक धरना दिया। प्रदर्शनकारियों का डर था कि सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के साथ मिलकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है।
आधिकारिक तौर पर तबादला प्रशासनिक बताया गया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 12 फरवरी 2020 को इसकी सिफारिश की थी। लेकिन इसकी टाइमिंग ने सवाल खड़े किए।