पत्रकार दुनिया नये साल के स्वागत की तैयारी में जुटी है। हर तरफ खुशियां और उम्मीदें हैं, लेकिन अमेरिका में रहने वाले लाखों भारतीयों के लिए यह समय चिंता और डर का है। एक अमेरिकी पत्रकार मैट फॉर्नी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली, जिसमें उसने भविष्यवाणी की है कि 2026 में भारतीयों और हिंदू मंदिरों पर बड़े हमले होंगे – घर तोड़े जाएंगे, व्यवसाय बर्बाद किए जाएंगे, मंदिरों पर बमबारी और गोलीबारी होगी।

मैट फॉर्नी ने सुझाव दिया है कि भारतीयों की जान बचाने का एक ही तरीका है – सभी को अमेरिका से डिपोर्ट कर भारत भेज दो। उसने लिखा, "DEI: Deport Every Indian" यानी हर भारतीय को डिपोर्ट करो। यह पोस्ट बाद में डिलीट कर दी गई, लेकिन उसके स्क्रीनशॉट वायरल हो गए और पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गये।

मैट फॉर्नी कौन है?

मैट फॉर्नी एक दक्षिणपंथी पत्रकार और एक्टिविस्ट है, जो पहले भी भारतीयों के खिलाफ नफरत भरे बयान देता रहा है। हाल ही में उसने Etsy कंपनी की नई CEO कृति पटेल गोयल (जो भारतीय मूल की हैं) को "अयोग्य" कहा और आरोप लगाया कि वह अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर भारतीयों को नौकरी देंगी। फॉर्नी का इतिहास विवादों से भरा है – वह ऑल्ट-राइट विचारधारा से जुड़ा रहा है, महिलाओं और प्रवासियों के खिलाफ बोलता है। पहले भी उसके बयानों की वजह से उसे नौकरी से निकाला जा चुका है। उसकी यह पोस्ट ट्रंप की इमिग्रेशन नीति और H-1B वीजा की बहस से जुड़ी लगती है। इस पोस्ट पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी – कुछ ने उसे हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, तो कुछ ने FBI और भारत के विदेश मंत्रालय को टैग करके कार्रवाई की मांग की।
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अमेरिका में भारतीय कितने?

अब सवाल यह है कि अमेरिका में भारतीय कितने हैं और क्या वे सच में ख़तरे में हैं? 2025 के आँकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के लोग करीब 5.2 से 5.4 मिलियन हैं। यह अमेरिकी आबादी का लगभग 1.6 प्रतिशत है। इनमें से ज्यादातर उच्च शिक्षित और कुशल पेशेवर हैं – टेक, मेडिसिन, बिजनेस जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। करीब 55 प्रतिशत अमेरिकी नागरिक बन चुके हैं, 25 प्रतिशत ग्रीन कार्ड होल्डर हैं, 9-10 प्रतिशत वीजा (जैसे H-1B) पर हैं, और अनुमानित 3.75 से 7.25 लाख अवैध रूप से रह रहे हैं।

भारतीयों का अमेरिका जाना मुख्य रूप से 1965 के इमिग्रेशन एक्ट के बाद शुरू हुआ, जब कुशल कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी गई। कारण थे बेहतर नौकरियां, शिक्षा और जीवन स्तर। ज्यादातर लीगल तरीके से आते हैं, लेकिन कुछ अवैध रास्ते (जैसे मेक्सिको बॉर्डर पार करके) भी अपनाते हैं– गरीबी या जल्दी सफलता की चाह में। H-1B वीजा इसी का बड़ा हिस्सा है। यह वीजा विशेषज्ञता वाले कामों के लिए है – जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग। हर साल 85,000 ऐसे वीजा जारी होते हैं और इनमें 70-75 प्रतिशत भारतीय लेते हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां हजारों भारतीयों को इसी वीजा पर रखती हैं। सुंदर पिचाई, सत्या नडेला जैसे बड़े नाम भी कभी H-1B पर ही पहुँचे थे।

अमेरिका में भारतीय ऊँचे पदों पर

अमेरिका में भारतीयों की सफलता कमाल की है। सुंदर पिचाई (गूगल CEO), सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट), काश पटेल (2025 में FBI डायरेक्टर), उषा चिलुकुरी वैंस (सेकंड लेडी) जैसे लोग ऊंचे पदों पर हैं। बिजनेस में विनोद खोसला, जय चौधरी जैसे अरबपति हैं। राजनीति में कमला हैरिस, रो खन्ना, प्रमीला जयपाल। लेकिन यही सफलता कुछ लोगों की आंखों में खटकती है। H-1B पर बहस चल रही है – कुछ अमेरिकी कहते हैं कि भारतीय उनकी नौकरियां छीन रहे हैं। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में इमिग्रेशन सख्त हुआ, टैरिफ लगे। सोशल मीडिया पर एंटी-इंडियन पोस्ट्स 2024-25 में 75 प्रतिशत बढ़ गए। भारतीयों को "स्कैमर", "गंदे" या "जॉब चोर" कहा जा रहा है।

तो क्या 2026 में वाक़ई भारतीयों पर बड़े हमले होंगे? फॉर्नी की धमकी एक व्यक्ति की है, लेकिन नफरत बढ़ रही है, इसमें शक़ नहीं।

मंदिरों पर हमले

2025 में हिंदू मंदिरों पर कई हमले हुए– इंडियाना के ग्रीनवुड में BAPS मंदिर पर एंटी-इंडिया ग्रैफिटी, कैलिफोर्निया के चिनो हिल्स में सबसे बड़े मंदिर पर "हिंदुस्तान मुर्दाबाद" लिखा गया, यूटा में इस्कॉन मंदिर पर गोलियां चलाई गईं।

ये हमले ज्यादातर प्रो-खालिस्तानी तत्वों की ओर से किये गये बताये जाते हैं लेकिन कुछ में व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट (श्वेत वर्चस्ववादी) समूहों का हाथ भी था। अतीत में 1980 के दशक में "डॉटबस्टर्स" गैंग ने न्यू जर्सी में भारतीयों पर हमले किए। 9/11 के बाद सिखों को मुस्लिम समझकर टारगेट किया गया लेकिन बड़े पैमाने पर बॉम्बिंग या मास शूटिंग नहीं हुई।

लेकिन भारतीयों के ख़िलाफ़ नफ़रत की ताज़ा लहर चौंकाती है।
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हथकड़ियों में डिपोर्टेशन

पिछले दिनों अवैध ढंग से अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को सैन्य विमानों से वापस भेजा गया था, हथकड़ी बेड़ी लगाकर। यह एक अमानवीय हरकत थी। ख़तरनाक अपराधियों की तरह व्यवहार किया गया था। जबकि भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ट्रंप को अपना जिगरी दोस्त बताते थकते नहीं हैं। नमस्ते ट्रंप और हाउडी मोदी को कौन भूल सकता है।

नमस्ते ट्रंप इवेंट 24 फरवरी 2020 को भारत के अहमदाबाद (गुजरात) में मोटेरा स्टेडियम (अब नरेंद्र मोदी स्टेडियम) में हुआ था। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा का मुख्य कार्यक्रम था, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। यह भी परवाह नहीं की गयी कि कोराना का संक्रमण फैल रहा है और कई देशों ने हवाई यात्राओं पर रोक लगा दी है। भारत में खूब जहाज़ आये गये… फिर कोरोना किस कदर फैला, याद ही होगा।

"हाउडी मोदी" इवेंट

यह "हाउडी मोदी" इवेंट का जवाबी कार्यक्रम था। 22 सितंबर 2019 को अमेरिका के ह्यूस्टन (टेक्सास) में "हाउडी मोदी" इवेंट हुआ था। जिसमें 50,000 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी शामिल हुए और ट्रंप भी मौजूद थे। यहाँ मोदी ने नारा लगाया था, "अबकी बार ट्रंप सरकार।” मोदी जी ने अपने 2014 के नारे "अबकी बार मोदी सरकार" को बदलकर यह कहा था जो ट्रंप के 2020 चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन माना गया। यह कूटनीति के लिहाज़ से एक ग़लत फ़ैसला माना गया था, ख़ासतौर पर जब ट्रंप चुनाव हार गये और जो बाइडन नये राष्ट्रपति बने थे।
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लेकिन ट्रंप के लिए इतना रिस्क लेने वाले मोदी जी की अब ट्रंप को कोई परवाह नहीं है। जिस तरह हथकड़ी बेड़ी में भारतीयों को उन्होंने वापस भेजा, इससे यही संकेत मिलता है। इधर वे व्यापार संधि के लिए भारत को लगातार दबाव में लेने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में उनके समर्थकों का भारतीयों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाना सामान्य नहीं लगता। ट्रंप जिस रास्ते पर चले हैं, यह उसका स्वाभाविक नतीजा है।

नफ़रत फैलाकर वोट तो बटोरे जा सकते हैं, लेकिन सुख शांति की उम्मीद करना व्यर्थ है। यह बात जितनी अमेरिका के लिए सही है, उतनी ही भारत के लिए भी।