25 जून 2025 को भारत में आपातकाल (Emergency) की 50वीं वर्षगांठ थी। इस दिन को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और मोदी सरकार ने "संविधान हत्या दिवस" के रूप में प्रचारित किया, जिसका स्पष्ट उद्देश्य कांग्रेस और गांधी परिवार, विशेष रूप से राहुल गांधी, पर निशाना साधना था। राहुल गांधी लंबे समय से मोदी सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाते रहे हैं। इस अभियान में इमरजेंसी को तानाशाही का प्रतीक बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को निशाना बनाया गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या इंदिरा गाँधी केवल इमरजेंसी की वजह से याद की जाएँगी और क्या इमरजेंसी लगाने के फ़ैसले के लिए कुछ परिस्थितियाँ भी ज़िम्मेदार थीं। साथ ही यह भी समझना ज़रूरी है कि क्या इमरजेंसी के दिनों को याद कराने का अभियान चला रही बीजेपी के शासन में हालात क्या इमरजेंसी जैसे नहीं हैं?