चुनाव आयोग ने सोमवार को जब 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर की घोषणा की तो इसमें असम शामिल नहीं था। चुनाव आयोग चुनाव वाले राज्यों में एसआईआर कराने की बात लगातार कहता रहा है और असम में अगले साल चुनाव होने हैं तो फिर एसआईआर की घोषणा क्यों नहीं की गई?

इस सवाल का जवाब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दिया है, लेकिन असम कांग्रेस ने उनके तर्क पर सवाल उठाया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने पहले ही 2023 के परिसीमन प्रक्रिया के माध्यम से अल्पसंख्यक मतदाताओं को अत्यधिक आबादी वाले 22 निर्वाचन क्षेत्रों में सीमित करके खुद को सत्तारूढ़ पार्टी का एजेंट साबित कर दिया है। कांग्रेस ने क्या तर्क रखा है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि यह विवाद क्या है और चुनाव आयोग ने क्या कहा है। 
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चुनाव आयोग की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब असम में 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है। एसआईआर प्रक्रिया का मक़सद मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है, जिसमें बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन, दस्तावेज जांच और अयोग्य नामों का हटाना शामिल है। 

एसआईआर तो पूरे देश में होना है

चुनाव आयोग ने जून 2025 में जारी आदेश के तहत पूरे देश में एसआईआर शुरू करने का ऐलान किया था, जिसमें सभी पंजीकृत मतदाताओं को नए गणना फॉर्म भरने और 13 मान्य दस्तावेजों से पात्रता साबित करने का प्रावधान था। यह प्रक्रिया 2002-2005 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रही है। 

बिहार में यह प्रक्रिया पूरी हो गई है, जबकि दूसरे चरण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप में शुरू करने की घोषणा की गई है। 

अब असम को लेकर यह सवाल खासकर इसलिए उठ रहा है कि जिस असम में बीजेपी सबसे ज़्यादा घुसपैठिए का मुद्दा उछालती रही है और सबसे ज़्यादा अवैध वोटर का आरोप लगाती रही है, उस राज्य के लिए ही एसआईआर की घोषणा अभी क्यों नहीं की गई?

चुनाव आयोग का तर्क

सीईसी ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में असम के बहिष्कार पर कहा, 'भारत के नागरिकता क़ानून में असम के लिए अलग प्रावधान हैं। दूसरी बात, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही नागरिकता पहचान प्रक्रिया ख़त्म होने वाली है। ऐसे में 24 जून का एसआईआर आदेश, जो पूरे देश पर लागू था, असम पर लागू नहीं होता। राज्य के लिए अलग संशोधन निर्देश जारी किए जाएंगे।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि असम एकॉर्ड (1985) के तहत 24 मार्च 1971 को कट-ऑफ डेट है, जो अन्य राज्यों से अलग है।

जुलाई 2025 में 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट है, जिसमें असम सरकार ने चुनाव आयोग को बताया था कि राज्य में एनआरसी पूरा हो चुका है। सरकार ने सुझाव दिया कि एनआरसी सूची एसआईआर के लिए मान्य दस्तावेजों में शामिल की जा सकती है। अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने कहा कि एनआरसी प्रकाशित होने पर यह एसआईआर का आधार बनेगा। लेकिन एनआरसी अभी अधर में लटका हुआ है, इसलिए एसआईआर को टाल दिया गया।
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एनआरसी प्रक्रिया 2019 से लंबित

एनआरसी असम में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 2019 में अपडेट किया गया था। ड्राफ्ट सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19.6 लाख को बाहर किया गया, जबकि अंतिम सूची में 3.11 करोड़ को शामिल किया गया। लेकिन रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने इसको अधिसूचित नहीं किया है। राज्य सरकार और केंद्र ने दावा किया कि इसमें त्रुटियां हैं- स्वदेशी लोगों को बाहर और विदेशियों को अंदर किया गया। सरकार का कहना है कि 1971 के बाद घुसपैठ 19 लाख से कहीं अधिक है। इसको लेकर कई याचिकाएँ दायर की गईं। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। 

कांग्रेस ने किया कड़ा विरोध

एसआईआर टालने के चुनाव आयोग के फैसले का बीजेपी ने भले ही स्वागत किया हो, लेकिन कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। असम कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने सवाल उठाया, 'एनआरसी प्रक्रिया ख़त्म होने से कोसों दूर है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा अधिसूचना के बाद ही अस्वीकृत लोगों के दावों की प्रक्रिया शुरू होगी, जो अभी शुरू भी नहीं हुई। उनका तर्क समझना मुश्किल है। चुनाव आयोग ने 2023 की परिसीमन प्रक्रिया में साबित किया कि वह सत्ताधारी दल का एजेंट है, जहां अल्पसंख्यक वोटरों को 22 घनी आबादी वाली सीटों में समेट दिया गया।' सैकिया ने आरोप लगाया कि यह वोटर सूची में हेरफेर का प्रयास है।
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वामपंथी दलों और अन्य विपक्षी दलों ने भी चिंता जताई कि एसआईआर NRC का बैकडोर प्रवेश हो सकता है, जैसा कि बिहार और पश्चिम बंगाल में विवाद हुआ। ममता बनर्जी ने इसे एनआरसी को पिछले दरवाजे से लागू करने का प्रयास बताया है। 

वैसे, रिपोर्ट है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने एसआईआर के लिए तैयारी पूरी कर ली है। असम राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि एसआईआर से पहले मैपिंग और पुरानी मतदाता सूचियों में लोकेशन जैसी प्रारंभिक गतिविधियां चल रही हैं। इसने कहा, 'हम मानकर तैयारी कर रहे थे कि असम में भी अन्य चुनावी राज्यों के साथ एसआईआर शुरू होगा। चूंकि चुनाव आयोग ने समय-सारिणी नहीं बताई, हम तैयारी जारी रखेंगे और अधिसूचना का इंतजार करेंगे।'