लगातार तनावपूर्ण बैठकों और बढ़ते तनाव के बावजूद, मोदी सरकार युद्ध की ओर कोई स्पष्ट इरादा क्यों नहीं दिखा रही है? रुख और रणनीति में एक उल्लेखनीय बदलाव नजर आ रहा है। पर्दे के पीछे वास्तव में क्या हो रहा है?