रविवार 21 सितंबर को जब ग़ज़ा की धरती इसराइली बमबारी की आग में जल रही थी, एक ऐतिहासिक खबर ने दुनिया का ध्यान खींचा। यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया। उसी दिन ग़ज़ा में 37 लोग मारे गए, कुल 55 फिलिस्तीनियों की जान गई। सवाल है कि क्या इसराइल की बर्बरता को रोकने में असफल रहे पश्चिमी देश अब मान्यता की आड़ में अपनी शर्म ढँक रहे हैं। या ये इसराइल को हर हाल में जायज़ ठहराने की अमेरिकी नीतियों के साये से निकलने की एक कोशिश है? और क्या महज़ ‘मान्यता' देकर इसराइल बर्बरता को रोका जा सकता है?