असम सरकार ने मंगलवार को गोलाघाट जिले के उरियामघाट में रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट में अब तक का सबसे बड़ा बेदखली अभियान शुरू किया है। इसका मक़सद 11000 बीघा यानी क़रीब 3600 एकड़ से अधिक जंगल की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराना बताया गया है। इस अभियान में 1000 से अधिक पुलिसकर्मियों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ़ और वन विभाग के कर्मियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही 150 से अधिक बुलडोजर जैसी मशीनें लगाई गई हैं। इस अभियान से क़रीब 2000 परिवारों के विस्थापन की आशंका है, जिनमें अधिकांश बंगाली मूल के मुस्लिम परिवार हैं। तो क्या यह मुस्लिमों को निशाना बनाकर कार्रवाई की जा रही है? कम से कम विपक्षी दलों द्वारा आरोप तो यही लगाया जा रहा है।
असम में बेदखली अभियान में 150 मशीनें लगीं, 2000 मुस्लिम परिवार संकट में!
- असम
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- 29 Jul, 2025
असम में बेदखली अभियान क्यों शुरू गया और किनके ख़िलाफ़? 150 से अधिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है और करीब 2000 परिवार प्रभावित हैं। जानिए पूरा मामला।

असम में बेदखली अभियान। फोटो साभार: @rjhazarikam/वीडियो ग्रैब
बेदखली का पहला चरण
असम सरकार ने उरियामघाट में रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट के 12 गांवों को टार्गेट पर लिया है। असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार इन गाँवों में सोनारीबिल टॉप, दूसरा पिठाघाट, दूसरा दयालपुर, तीसरा दयालपुर, डोलोनपथार, खेरबारी, बिद्यापुर, बिद्यापुर मार्केट, दूसरा मधुपुर, अनादपुर, राजापुखुरी और गेलाजन शामिल हैं। इन गांवों में बस्तियों को अवैध अतिक्रमण माना गया है। अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों में बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों ने बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्जा कर लिया है और इसे सुपारी की खेती के लिए बदल दिया है। इसे सरकार ने 'बेटल माफिया' से जोड़ा है।