असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के ख़िलाफ़ एक बार फिर विरोध शुरू हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एग्जेंप्शन ऑर्डर, 2025 ने इस विवाद को और हवा दी है। इस आदेश के तहत 31 दिसंबर 2024 तक भारत में प्रवेश कर चुके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों को बिना वीजा और पासपोर्ट के रहने की छूट दी गई है। इस नए आदेश के बाद असम में विरोध शुरू हो गया है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन यानी एएएसयू ने नए आदेश के साथ-साथ सीएए के खिलाफ सत्याग्रह की घोषणा की है और गुरुवार को विभिन्न जिलों में 11 घंटे की भूख हड़ताल के साथ इसकी शुरुआत भी कर दी। असम में इस नये आदेश को भी राज्य की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय पहचान के लिए ख़तरे के रूप में देखा जा रहा है। तो सवाल है कि आख़िर असम में यह विरोध क्यों हो रहा है?