असम देश का इकलौता राज्य है, जहाँ नागरिकता का मसला चार दशकों से जटिल बना हुआ है और इसको लेकर होने वाली राजनीति ने इसे लगातार और अधिक उलझाने की ही कोशिश की है। भारत विभाजन से लेकर बांग्लादेश की स्थापना तक घुसपैठियों की भारी तादाद असम में आकर बसती रही है। विदेशियों के ख़िलाफ़ 6 सालों तक चले आंदोलन के बाद हुए असम समझौते से भी इस मसले को हल नहीं किया जा सका।