असम देश का इकलौता राज्य है, जहाँ नागरिकता का मसला चार दशकों से जटिल बना हुआ है और इसको लेकर होने वाली राजनीति ने इसे लगातार और अधिक उलझाने की ही कोशिश की है। भारत विभाजन से लेकर बांग्लादेश की स्थापना तक घुसपैठियों की भारी तादाद असम में आकर बसती रही है। विदेशियों के ख़िलाफ़ 6 सालों तक चले आंदोलन के बाद हुए असम समझौते से भी इस मसले को हल नहीं किया जा सका।
‘असमिया’ को पहचान देने वाली रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से फँसी बीजेपी सरकार!
- असम
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- 12 Aug, 2020

इस साल फरवरी में सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन के लिए अपनी सिफ़ारिशें प्रस्तुत की थीं, जो एक प्रमुख प्रावधान है और जिसको लेकर दशकों से विवाद रहा है। सरकार ने रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है।