असम के पश्चिम कार्बी आंग्लोंग जिले में लंबे समय से चली आ रही बेदखली की मांग को लेकर प्रदर्शन सोमवार को अचानक हिंसक हो गया। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कार्बी आंग्लोंग स्वायत्त परिषद यानी केएएसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य और भाजपा नेता तुलीराम रोंगहांग के पैतृक घर को आग लगा दी। इस घटना में पुलिस की गोलीबारी से कम से कम तीन प्रदर्शनकारी घायल हो गए, जबकि एक सीआरपीएफ जवान को भी चोट आई। इस दौरान पथराव की घटना भी हुई।

हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने पूरे इलाके में धारा 163 के तहत पाबंदी लगा दी है। पांच से ज्यादा लोग एक जगह जमा नहीं हो सकते। देर शाम तक अतिरिक्त पुलिस, सीआरपीएफ और कमांडो तैनात कर दिए गए हैं।

हिंसा होने की वजह क्या?

यह हिंसा तब भड़की जब प्रदर्शनकारियों को खबर मिली कि भूख हड़ताल पर बैठे कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालाँकि, पुलिस ने बाद में इसे ग़लतफहमी क़रार दिया और दावा किया कि भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को स्वास्थ्य जाँच के लिए अस्पताल ले जाया गया था।

दरअसल, पश्चिम कार्बी आंग्लोंग के फेलांगपी और खेरोनी इलाके में करीब दो हफ्ते से नौ लोग भूख हड़ताल पर थे। वे प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व यानी पीजीआर और विलेज ग्रेजिंग रिजर्व वीजीआर नाम की सरकारी चरागाह जमीनों से कथित अवैध कब्जेदारों को हटाने की मांग कर रहे थे। ये जमीनें आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित हैं और यहां मुख्य रूप से कार्बी जनजाति के लोग रहते हैं। पश्चिम कार्बी आंग्लोंग और कार्बी आंग्लोंग छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त जिले हैं, जहां आदिवासी जमीनों को बचाए रखने के लिए विशेष प्रावधान हैं।

पुलिस का कहना है कि सोमवार सुबह पुलिस ने भूख हड़ताल करने वालों को उनकी सेहत बिगड़ने के डर से गुवाहाटी के अस्पताल ले जाने की कोशिश की। लेकिन लोगों ने इसे गिरफ्तारी समझ लिया और गुस्सा भड़क उठा।

पथराव और फायरिंग

हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए, हाइवे जाम कर दिया और डोंगकामुकाम की ओर मार्च करने लगे। वहां तुलीराम रोंगहांग का पैतृक घर है। पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, पत्थरबाजी हुई। और फिर पुलिस ने फायरिंग की और बल का प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रोंगहांग के घर में आग लगा दी। अच्छी बात यह रही कि घर में कोई नहीं था। रोंगहांग दीफू में रहते हैं और उनके परिवार वाले भी बाहर थे।

तुलीराम रोंगहांग ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह सब एक गलतफहमी की वजह से हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया, 'हम भूख हड़ताल का विरोध नहीं करते, लेकिन बातचीत से समाधान निकालना चाहिए। आज शाम 4 बजे मैं खुद प्रदर्शनकारियों से मिलने वाला था, लेकिन इससे पहले यह घटना हो गई। पुलिस कुछ लोगों को सिर्फ इलाज के लिए अस्पताल ले गयी थी, गिरफ्तारी नहीं की थी।' रोंगहांग ने शांति की अपील की और कहा कि बातचीत से सब सुलझ सकता है।

पिछले साल भी हुआ था विवाद

यह विवाद नया नहीं है। कार्बी छात्र संगठनों और जनजातीय समूहों की मांग पर फरवरी 2024 में रोंगहांग ने इन चरागाह जमीनों से बेदखली करने की बात कही थी। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने तब कहा था कि 1983 परिवार डोंकामोकम सर्कल के हवाईपुर मौजा में पीजीआर और वीजीआर जमीन पर अवैध रूप से रह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि फुलोनी सर्कल की चरागाह जमीन पर भी 103 परिवार अवैध रूप से रह रहे हैं। उस समय विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुए थे जब बिहारी नोनिया समुदाय की एक संस्था ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें वेस्ट कार्बी आंग्लोंग में इन ज़मीनों पर बसे लोगों को कानूनी मान्यता देने की मांग शामिल थी।

हालाँकि तब लोगों को बेदखल करने की कार्रवाई नहीं हुई थी। रोंगहांग ने कहा कि हमने बेदखली नोटिस दिया था, लेकिन कब्जेदारों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर दी, जिसके कारण बेदखली रुक गई। रोंगहांग ने कहा, 'कोर्ट का फैसला आने तक हम कुछ नहीं कर सकते, वरना अदालत की अवमानना हो जाएगी।'