बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे विकास के मुद्दों पर आम जनता से वोट नहीं माँग सकती। चुनाव जीतने के लिए उसके पास एक ही ब्रह्मास्त्र है- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण। असम में इसी तरह की राजनीति करते हुए 2016 में बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछाते हुए बीजेपी ने एक बार फिर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू कर दिया है।
अब असम में बीजेपी को क्यों दिख रहा है ‘लव जिहाद’ का भूत?
- असम
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- 12 Oct, 2020

असम को सांप्रदायिक सौहार्द्र वाला राज्य माना जाता है। राज्य में भूमि और जातीय पहचान को लेकर समय-समय पर भले ही हिंसक संघर्ष होते रहे हैं, लेकिन सांप्रदायिक आधार पर संघर्ष का कोई इतिहास नहीं रहा है। असम में संघ परिवार ने देर से उग्र हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार शुरू किया और 'बांग्लादेशी मुसलमानों' के नाम पर सभी मुसलमानों के ख़िलाफ़ स्थानीय हिंदुओं की भावना को भड़काने का खेल शुरू हो गया।
असम के शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने कहा है कि बीजेपी 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले ‘लव जिहाद’ मामलों के ख़िलाफ़ एक अभियान शुरू करेगी। डिब्रूगढ़ में पार्टी की महिला मोर्चा की एक बैठक में शर्मा ने दावा किया कि सोशल मीडिया ‘नया फंदा’ है और असमिया लड़कियाँ ‘लव जिहाद’ का शिकार हो रही हैं।
शर्मा ने कहा, ‘सोशल मीडिया नया ख़तरा है, क्योंकि यह लव जिहाद को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से असमिया लड़कियाँ लव जिहाद का शिकार हो रही हैं। यह हमारे समाज पर एक सांस्कृतिक आक्रमण है और बाद में इन लड़कियों को तलाक़ का सामना करना पड़ सकता है।’