अदालत ने इसके साथ ही 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले में निर्मोही अखाड़ा को ज़मीन देने को अतार्किक क़रार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह तर्क से परे है कि पहले हाई कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन उसके बाद ज़मीन में उसे हिस्सा भी दिया।