बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने अपने मन से शादी करने वाली लड़कियों को लेकर एक बयान दिया है जिसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। डीजीपी ने कहा कि ऐसे कई मामले पुलिस के सामने आते हैं जिनमें लड़कियां माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने के लिए घर से चली जाती हैं और उनमें से अधिकतर की हत्या हो जाती है। 

उन्होंने कहा कि कई लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है और उनका कोई ठिकाना नहीं रहता। 

डीजीपी ने कहा कि इसका दुख माता-पिता को और परिवार के बाकी सदस्यों को उठाना पड़ता है। उन्होंने अपनी बात को साफ करते हुए कहा कि मां-बाप अपने बेटे-बेटियों को अच्छे संस्कार दें और उनकी भावनाओं को समझें। 
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बिहार सरकार की ओर से चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान के तहत समस्तीपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में डीजीपी ने यह बात कही। समाज सुधार कार्यक्रमों के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के अफसर लोगों से शराब, दहेज प्रथा, बाल विवाह के खात्मे सहित कई अन्य सामाजिक बुराइयों को दूर करने की अपील करते हैं। 
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नीतीश ने दी सफाई 

डीजीपी के इस बयान पर जब प्रतिक्रिया आने लगी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर सफाई दी। नीतीश ने कहा कि जिसकी जहां मर्जी हो वह वहां शादी करे जिससे मर्जी हो उससे करे, उसमें कहां कोई दिक्कत है, यह तो सब की आजादी है। 

लेकिन राज्य के डीजीपी का बयान मुख्यमंत्री के बयान के बिल्कुल उलट है।

बदलते समाज में और तेजी से बदल रहे वक्त में युवा होते लड़के-लड़कियां अपने जीवनसाथी का चुनाव ख़ुद ही कर लेते हैं लेकिन कई बार पुरानी सामाजिक मान्यताओं के चलते उनके इस फ़ैसले का विरोध होता है और ऑनर किलिंग जैसी जघन्य घटनाएं सामने आती हैं। 
डीजीपी लोगों की मानसिकता को बदलने के बजाए समाज को यह बता रहे हैं कि लड़कियों के फ़ैसलों की वजह से परिवार के लोगों को दुख उठाना पड़ता है, ऐसे में उनके बयान पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।