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बिहार: उर्दू स्कूल के कैलेंडर के नाम पर नफ़रत फैलाने वाले लोग कौन?

पता नहीं पहले यह खबर मीडिया में आई या भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के पास, लेकिन पटना के कम से कम दो प्रमुख अख़बारों ने यह ख़बर छापी कि बिहार के स्कूलों में महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन, जानकी नवमी, रामनवमी, जन्माष्टमी, तीज और जिउतिया पर होने वाली छुट्टी 2024 में नहीं रहेगी।

शुरू में सभी को यह आदेश अटपटा लगा लेकिन बाद में मालूम हुआ कि यह खबर पूरी तरह भ्रामक है और भारतीय जनता पार्टी के नेता सांप्रदायिक दुष्प्रचार में लगे हैं। मंगलवार को दिन भर कई टीवी चैनल इसी भ्रामक ख़बर को लेकर आगे फैलाते रहे।

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बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी छुट्टियों की तालिका में उन सभी दिनों पर छुट्टी है जिसके बारे में मीडिया में यह चर्चा चल रही है कि उन छुट्टियों को ख़त्म कर दिया गया है। उदाहरण के लिए बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा की छुट्टी 14 फरवरी बुधवार को है। महाशिवरात्रि की छुट्टी 8 मार्च को है। जानकी नवमी की छुट्टी 17 मई को रखी गई है। इसी तरह श्री कृष्ण जन्माष्टमी की छुट्टी 26 अगस्त को है।

यह दुष्प्रचार भी किया गया कि ईद और मोहर्रम के दिनों की छुट्टियों की संख्या बढ़ाई गई है। आम सरकारी स्कूलों के लिए जारी छुट्टी की तालिका में ईद उल फित्र की छुट्टी एक ही दिन 11 अप्रैल को है। इसी तरह ईद उल अजहा की छुट्टी सिर्फ एक दिन 18 जून और मोहर्रम की छुट्टी सिर्फ एक दिन 18 जुलाई को है।

मीडिया और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने छुट्टी की इस तालिका को नजरअंदाज करते हुए उस तालिका पर अपनी टिप्पणी देनी शुरू की जो सिर्फ उर्दू भाषी स्कूलों के लिए है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने छुट्टियों की दो तालिकाएं जारी की हैं। अपनी स्थापना के समय से ही उर्दू स्कूलों में अलग छुट्टियां होती हैं और वहां साप्ताहिक छुट्टी रविवार के बजाय शुक्रवार को होती है। कुछ समय पहले भी शुक्रवार की छुट्टी को लेकर बवाल मचा था लेकिन फिर सत्य सामने आने के बाद यह मामला सुलट गया था।
छुट्टी की दोनों तालिकाओं में साल भर में कुल 60 दिन की छुट्टियां हैं। जब उर्दू और आम स्कूलों में छुट्टियों की संख्या बराबर है तो आखिर बवाल क्यों मचा है?

भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया: “बिहार में कई हिंदू त्योहारों की छुट्टियां खत्म कर दी गई हैं और ईद मुहर्रम की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं, यह भी गजवा-ए-हिंद का एक हिस्सा है।”

यही नहीं, उन्होंने यह भी लिखा, “जिस तरह से लालू यादव और नीतीश सरकार हिंदुओं पर हमला कर रही है, भविष्य में उन्हें मोहम्मद नीतीश और मोहम्मद लालू के नाम से जाना जाएगा।” उन्होंने बिहार को “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ बिहार” भी घोषित कर दिया।

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गिरिराज सिंह तो वैसे भी अपने गैर जिम्मेदाराना बयानों के लिए बदनाम हैं लेकिन सुशील मोदी जैसे गंभीर माने जाने वाले नेता भी छुट्टियों के मामले में दुष्प्रचार करने से नहीं बचे। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार चुनाव को सामने देख तुष्टीकरण पर उतर आई है। उन्होंने एक्स प्लेटफार्म पर लिखा, “हिन्दुओं के पर्व, त्यौहारों की छुट्टियों को रद्द करना हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचायक।”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने छुट्टियों के बारे में कहा कि सनातन विरोधी एवं श्री रामचरितमानस निंदक महागठबंधन सरकार पहले भी भाजपा के दबाव में शिक्षकों के आगे दो बार झुक चुकी है, अब तीसरी बार झुकेगी। उन्होंने दावा किया कि 5 लाख से अधिक शिक्षक किसी भी सूरत में नीतीश सरकार के इस आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। इसी तरह भाजपा विधान मंडल दल के नेता विजय सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार का यह तुगलकी आदेश हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात है और इसे भी वापस लेना पड़ेगा।

भाजपा नेताओं के साथ-साथ उनके समर्थक आरएसएस की पत्र पत्रिकाओं ने भी यही राग अलापना शुरू कर दिया। ‘पाञ्चजन्य’ ने एक्स पर पोस्ट किया,

हम ऊपर बता चुके हैं कि छुट्टियों की यह लिस्ट पूरी तरह भ्रामक है और ऐसा सिर्फ उर्दू स्कूलों में हुआ जहां यह उम्मीद की जाती है कि यह त्यौहार मनाने वाले बहुत ही काम छात्र आते होंगे।

पाञ्चजन्य और इस तरह के दूसरे हैंडल्स ने बहुत चालाकी से यह नहीं बताया कि हिंदुओं के किन-किन त्योहारों पर छुट्टी दी जा रही है।

ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और उसके समर्थक मीडिया ने जानबूझकर उस दूसरी लिस्ट का प्रचार किया जो आम स्कूलों पर नहीं बल्कि केवल उर्दू स्कूलों पर लागू होगी। यह देखना रोचक होगा कि बिहार सरकार इस दुष्प्रचार का कैसे मुकाबला करती है।

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समी अहमद
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