बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो चुका है। एनडीए और महागठबंधन में सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों की सूची अब-तब सार्वजनिक होने की स्थिति है। जनसुराज 51 उम्मीदवारों की पहली सूची लेकर सबके सामने है। ऐसे में राजनीतिक दलों के दफ्तर का माहौल समझना चुनाव के तापमान को मापने के लिहाज से बेहद जरूरी है। बिहार विधानसभा चुनाव को कुछ लोग महाभारत की तैयारी कहते हैं तो कुछ महायज्ञ की तैयारी।

दफ्तरों का माहौल कैसा है

हमने दफ्तरों का रुख करना मुनासिब समझा। आरजेडी से लेकर बीजेपी, कांग्रेस, एलजेपी और जनसुराज तक, हर पार्टी दफ्तर में रौनक है। सीटों की दावेदारी के लिए लंबी-लंबी कतारें हैं, दल बदलने के फॉर्म भरते कार्यकर्ता हैं और हवा में तैरते वादों का कोलाहल भी सुनाई पड़ता है। ये दृश्य न सिर्फ वोट की जंग का आईना हैं, बल्कि बिहार की राजनीति की पल्स भी पकड़ते हैं। घंटों पैदल चलते हुए, कार्यकर्ताओं से बातचीत करते हुए और नेताओं के दावों की पड़ताल के साथ इस रिपोर्ताज में बिहार का चुनावी मिजाज उकेरा गया है। आइए, एक-एक दफ्तर की सैर करें।  

आरजेडी दफ्तर: तेजस्वी का तूफान, वादों की बौछार

पटना के वीरचंद्र पटेल पथ पर स्थित आरजेडी मुख्यालय में सुबह नौ बजे से ही भीड़ जमा हो गई। तेजस्वी यादव के 'हर घर नौकरी' वाले वादे ने युवाओं को आकर्षित किया है। इसके सबूत दफ्तर में ही दिखने लगते हैं। दफ्तर के बाहर सैकड़ों बेरोजगार नौजवान लाइन में खड़े हैं। उनमें से कई को चुनाव लड़ने के लिए टिकट चाहिए। बेगूसराय के रवि कुमार तेज आवाज़ से सबका ध्यान खींचते हैं, "तेजस्वी भैया ने कहा है, 20 दिन में कानून, 20 महीने में जॉब। हम महागठबंधन के साथ हैं!"  
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दफ्तर के अंदर हलचल है। सीट शेयरिंग के लिए महागठबंधन के नेता भी आए हुए हैं। मगर, वे अंदर के कमरे में मशगूल हैं। कांग्रेस से आए कृष्णा अल्लावरू की टीम सीट शेयरिंग पर बातचीत कर रही है तो दूसरी तरफ वीआईपी के मुकेश सहनी समर्थक 'सीमांचल की सीटें' दोहरा रहे। दल बदलने का सिलसिला भी जोरों पर है। पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, पूर्व जेडीयू विधायक राहुल शर्मा, लोक जनशक्ति पार्टी कें नेता अजय कुशवाहा और JDU के बांका सांसद गिरधारी प्रसाद यादव के बेटे चाणक्य प्रसाद रंजन भी RJD में शामिल हुए। 
तेजस्वी यादव ने इन सबको पार्टी में शामिल कराया। तेजस्वी बोले, “इनके आने से पार्टी मजबूत होगी।” ऐसे ही एक नेता तपाक से बोल बैठते हैं, "एनडीए का भ्रम टूट चुका। कल 11 अक्टूबर को सीट बंटवारा और तेजस्वी को सीएम फेस का एलान होगा।“ माहौल में जोश है। थोड़ी अव्यवस्था भी है। कागज का अंबार है तो चाय की प्यालियां भी बिखरी पड़ी दिखती हैं।  

बीजेपी दफ्तर: मोदी लहर का दम, संगठन की मजबूती

बीरचंद पटेल पर ही बीजेपी का दफ्तर है। दिल्ली से आए नेताओं और आरएसएस नेताओं की मौजूदगी से भीड़ अनुशासन में है। मैनिफेस्टो कमेटी की बैठक भी चल रही है। डॉ. प्रेम कुमार, मनन मिश्रा, डॉ. भीम सिंह, ऋतुराज सिन्हा, निवेदिता सिंह, देवेश कुमार, सुरेश रुंगटा, गुरु प्रकाश पासवान व अन्य नेता दफ्तर में हैं। दफ्तर के गेट पर वॉलंटियर्स लाइन लगा रहे, और अंदर 'सबका साथ, सबका विकास' के बैनर तले सीट दावेदारी चल रही। 
दो बार मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद रहे अजय निषाद ने ‘घर वापसी’ की है। इसका उत्साह भी बीजेपी दफ्तर में दिख रहा है। एक दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हुए जेडीयू के पूर्व नेता ने कहा, , "नीतीश जी के साथ गठबंधन मजबूत है। हम 160 सीटें झाड़ेंगे!" एक महिला कार्यकर्ता ने बताया, "मोदी जी की रैली के बाद युवा उमड़ रहे। लेकिन सीटों पर पेंच फंसा है—एलजेपी के चिराग पासवान से बात चल रही है।" माहौल में आक्रामकता है लेकिन सबकुछ व्यवस्थित, संगठित है। चाय-समोसे की व्यवस्था है और हर कोने में डिजिटल स्क्रीन पर एनडीए की रणनीति दिखती है।  

कांग्रेस दफ्तर: पुरानी शान, नई उम्मीदें

गंगा किनारे सदाकत आश्रम के रूप में कांग्रेस भवन में शांतिपूर्ण माहौल है। हालांकि अंदर का तूफान थोडा वक्त देने के बाद समझ आता है। दिल्ली से खबर आने के बाद कि 25 उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए गये हैं, सदाकत आश्रम में भी भीड़ दिख रही है। पत्रकार सम्मेलन होने वाला है। हॉल में कुर्सियां भरी हैं। प्रेस कॉन्फ्रेन्स का इंतजार हो रहा है। 
अखिलेश सिंह, राजेश राम, अभय दुबे समेत तमाम नेता यहां मौजूद हैं। एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि हमें गठबंधन में "55 सीटें मिलेंगी, और हम बैसी, बहादुरगंज जैसी विवादित सीटें छोड़ेंगे नहीं।" एक युवा कार्यकर्ता ने शिकायत की, "राष्ट्रीय स्तर पर राहुल जी की लहर है, लेकिन बिहार में सीट शेयरिंग की देरी से परेशानी हो रही है।" माहौल में उम्मीद है। दफ्तर सजा हुआ है।

एलजेपी दफ्तर: चिराग का जलवा, पशुपालन का वादा

एक ह्वीलर रोड पर एलजेपी (राम विलास) का दफ्तर है। इस रोड को हवाई अड्डा रोड भी कहा जाता है। एलजेपी (रा.) कार्यालय में चिराग पासवान का नाम ही भीड़ खींच रहा गै। 'पशुपालन क्रांति' के वादे पर किसान उमड़ पड़े। दफ्तर के बाहर ट्रैक्टरों की कतार, और अंदर सीट दावेदारी। प्रदेश अध्यक्ष अरुण भारती ने आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में सम्मान के साथ सीट मिलने की उम्मीद जताई की गयी।
चिराग से दिल्ली में नित्यानन्द राय ने दो बार मुलाकात की। एनडीए से 40 सीट मांगते हुए दबाव बढ़ाया। एक कार्यकर्ता ने बताया, “चिराग बाबू दलित-ईबीसी के मसीहा। हम एनडीए का मजबूत किला हैं।“ माहौल उत्साही, युवा-केंद्रित—संगीत और नारे गूंज रहे।  

जनसुराज दफ्तर: प्रशांत का नया ध्रुव, ट्रांसजेंडर उम्मीदवार की चर्चा 

पाटलिपुत्रा कॉलोनी स्थित लड्डू गोपाल मंदिर के ठीक सामने है जनसुराज कार्यालय। प्रशांत किशोर की मौजूदगी है। लिहाजा दफ्तर खचाखच भरा हुआ। पहली सूची जारी हो चुकने के बाद अगली सूची की तैयारी है। दफ्तर में बुद्धिजीवी और युवाओं की भीड़ दावेदार बनकर मौजूद हैं। एक कार्यकर्ता कहते हैं, "प्रशांत जी 11 अक्टूबर से प्रचार शुरू करेंगे। हम तीसरा मोर्चा हैं!" प्रशांति किशोर को पत्रकारों ने घेर रखा है। वे एक-एक सवाल का जवाब दे रहे हैं।
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बिहार की चुनावी धड़कनों को इन दफ्तरों में महसूस किया जा सकता है। जहां आरजेडी युवा उभार पर सवार है, वहीं बीजेपी संगठन की ताकत दिखा रही है। कांग्रेस पुरानी उम्मीदें संजो रही है तो एलजेपी जातिगत समीकरण बुन रही है। जनसुराज नया विकल्प पेश कर रही है। दल-बदल का सिलसिला जारी रहेगा, लेकिन वोटर फैसला करेगा। राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक तौर पर नामांकन से पहले ये माहौल बताता है—बिहार का महाभारत अभी बाकी है।