बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में सीट बँटवारे को लेकर जारी उलझनों के बीच अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या चिराग पासवान और प्रशांत किशोर साथ आ सकते हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की युवा-केंद्रित रणनीति के बीच एक संभावित गठबंधन की चर्चा जोर पकड़ रही है। चिराग की पार्टी ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए अपना नया नारा 'अबकी बारी, युवा बिहारी' लॉन्च किया। तो क्या चिराग के 'युवा बिहारी' वाले नारे के खाँचे में नीतीश कुमार या उनके नेतृत्व वाली सरकार फिट बैठती है? क्या यह नारा एनडीए के भीतर ही एक नई स्थिति पैदा करेगा या विपक्षी मोर्चे को चुनौती देगा?

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सियासी सरगर्मियाँ तेज़ हो चुकी हैं। बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए सहयोगियों बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच सीटों का बँटवारा लंबे समय से अटका हुआ है। ख़बर है कि चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए कम से कम 40 सीटें चाहते हैं, जो 2020 के विधानसभा चुनावों से काफी अधिक है। 2020 में एलजेपी को मात्र 5 सीटें मिली थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में चिराग के नेतृत्व में पार्टी ने 5 सीटें जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की।
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हालिया रिपोर्टों के मुताबिक, एनडीए ने एक संभावित फॉर्मूला तैयार किया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार फॉर्मूले में जेडीयू और बीजेपी लगभग बराबर-बराबर सीटों पर 205 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं और बाक़ी सीटें अन्य सहयोगियों को दी जा सकती हैं। रिपोर्टों के अनुसार बीजेपी ने एलजेपी (रामविलास) को 25, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 7 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6 सीटें की पेशकश की है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान पसंदीदा सीटों के लिए बातचीत कर रहे हैं। माना जा रहा है कि यह फॉर्मूला चिराग की मांग से कम है, जिसके कारण बातचीत में उलझन बनी हुई है। माना जा रहा है कि जेडीयू इस फॉर्मूले के खिलाफ है, जबकि बीजेपी चिराग के दलित-ईबीसी वोट बैंक को देखते हुए बीच का रास्ता तलाश रही है।

क्या चिराग पासवान एनडीए में सीट बँटवारे में ज़्यादा सीटें पाने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं या फिर सीट बँटवारा पक्ष में नहीं होने पर वह अलग राह चुन सकते हैं?

चिराग-प्रशांत किशोर में गठबंधन संभव?

एनडीए की इन उलझनों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के बीच कोई गठबंधन हो सकता है? प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने 2025 चुनावों के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। जन सुराज पार्टी मुख्य रूप से युवाओं, महिलाओं और प्रवासी बिहारियों को टार्गेट कर रही है, जो बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा है। खुद को 'मोदी का हनुमान' बताने वाले चिराग पासवान ने युवाओं के मुद्दों पर जोर दिया है। उनकी पार्टी का ताज़ा ट्वीट 'अबकी बारी, युवा बिहारी' इसी दिशा में एक कदम है।

तो क्या यह नारा प्रशांत किशोर की जेएसपी के साथ गठबंधन का संकेत है? प्रशांत किशोर ने 2022 में अपनी पार्टी लॉन्च करते हुए 'युवा बिहार' को अपना मुख्य एजेंडा बनाया था। हालिया चर्चाओं में दोनों नेताओं के प्रतिनिधियों के बीच अनौपचारिक बातचीत की खबरें आई हैं। एनडीटीवी ने लोक जनशक्ति पार्टी के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि "अगले महीने होने वाले बिहार चुनाव में चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि 'राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं'।" 
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माना जा रहा है कि यदि यह गठबंधन हुआ तो यह 'युवा बिहारी' फॉर्मूला एनडीए को चुनौती दे सकता है या विपक्षी महागठबंधन को कमजोर कर सकता है। हालांकि, दोनों पक्षों ने अभी तक किसी गठबंधन की पुष्टि नहीं की है। चिराग ने जनवरी 2025 में कहा था, 'एनडीए में सीट बंटवारे पर कोई संदेह नहीं है। हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में 225 से अधिक सीटें जीतेंगे।' वहीं, प्रशांत किशोर ने जेएसपी को स्वतंत्र तीसरा मोर्चा बताया है। 

बीजेपी और जेडीयू बराबरी पर लड़ेंगे?

रिपोर्टों के अनुसार एनडीए के प्रस्तावित फॉर्मूले में बीजेपी और जेडीयू के क़रीब बराबर-बराबर सीटों पर लड़ना शामिल है। 2020 के चुनावों में जेडीयू को 43 और बीजेपी को 74 सीटें मिली थीं, लेकिन लोकसभा 2024 में दोनों दलों का प्रदर्शन बराबर रहा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में पटना दौरे पर कहा था, 'एनडीए एक परिवार है। बिहार में विकास की लहर चलेगी।' नीतीश कुमार ने भी गठबंधन की मजबूती पर जोर दिया।

बिहार चुनाव 2025 एनडीए के लिए परीक्षा का मैदान बन चुका है। चिराग पासवान का 'अबकी बारी, युवा बिहारी' नारा युवा वोटरों को लुभाने का प्रयास है, लेकिन प्रशांत किशोर के साथ गठबंधन की संभावना बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है। बीजेपी और जेडीयू की बराबरी की रणनीति नीतीश कुमार के नेतृत्व को मजबूत करने का प्रयास है, लेकिन चिराग की महत्वाकांक्षा इसे चुनौती दे रही है। आने वाले दिनों में दिल्ली स्तर पर होने वाली बैठकें इस उलझन को सुलझा सकती हैं।