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राम भगवान नहीं, एक कहानी के चरित्र थे: बीजेपी के सहयोगी मांझी

जिस बीजेपी की सियासत में भगवान राम बेहद अहम हैं उसी के सहयोगी दल के नेता जीतनराम मांझी ने भगवान राम पर ऐसा बयान दिया है कि बीजेपी असहज हो सकती है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने कहा है, 'मैं राम में विश्वास नहीं करता। राम भगवान नहीं थे। राम तुलसीदास और वाल्मीकि द्वारा अपना संदेश फैलाने के लिए बनाए गए चरित्र थे।'

मांझी का यह बयान तब आया है जब हाल ही में रामनवमी पर शोभायात्रा में कई राज्यों में हिंसा हुई है। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के खरगोन में तो हिंसा ज़्यादा बढ़ गई थी और शोभायात्रा पर पत्थर भी फेंके गए थे। उस हिंसा के बाद प्रशासन ने कई घरों को बुलडोजर से ढहा दिया यह आरोप लगाते हुए कि वे दंगाई थे।

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इसी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में हिंदुस्तान अवाम मोर्चा यानी हम भी शामिल है। इसके प्रमुख जीतनराम मांझी हैं। उन्होंने गुरुवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भगवान राम को लेकर बयान दिया।

मांझी ने तुलसीदास और वाल्मीकि का ज़िक्र कहते हुए कहा, 'उन्होंने रामायण लिखी और उनके लेखन में कई अच्छे सबक़ हैं। हम उस पर विश्वास करते हैं। हम तुलसीदास और वाल्मीकि में विश्वास करते हैं, राम में नहीं।'

उन्होंने आगे कहा, 'यदि आप राम में विश्वास करते हैं तो हमने हमेशा यह कहानी सुनी है कि राम ने शबरी का फल खाया था। आप वह फल नहीं खाएंगे जिसे हम काटते हैं, लेकिन कम से कम जो हम छूते हैं उसे तो खाइए।' 

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उन्होंने देश में जाति विभाजन का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस दुनिया में सिर्फ़ दो ही जातियाँ हैं- अमीर और ग़रीब। उन्होंने ब्राह्मणों पर दलितों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए उन पर भी निशाना साधा।

बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में जीतनराम मांझी ब्राह्मणों के लिए अपशब्द कहने के बाद विवादों में फंस गए थे। मांझी ने भुइयां-मुसहर समुदायों के एक कार्यक्रम में कहा था, 'आजकल धर्म के प्रति आस्था ग़रीब तबक़े में ज़्यादा देखी जा रही है। हम अब तक भगवान सत्यनारायण का नाम नहीं जानते थे या उनकी पूजा नहीं करते थे।'

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उन्होंने इसके आगे कहा था, 'अब हम हर टोले में सत्यनारायण की पूजा करते हैं। उन्हें शर्म नहीं आती कि उनके घर ब्राह्मण आते हैं और कहते हैं कि हम तुम्हारे घर में कुछ नहीं खाएंगे पर पैसे लेकर चले जाते हैं।' हालाँकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने इस पर खेद जताया था और यह भी कहा था कि उन्होंने यह बात ब्राह्मणों के लिए नहीं, बल्कि अपनी जाति यानी दलितों के लिए कही थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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