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बिहार: कांग्रेस के प्रदर्शन पर तारिक़ अनवर ने क्यों उठाये सवाल?

कांग्रेस आलाकमान को समझना होगा कि बिहार में ख़राब प्रदर्शन के बाद वह बंगाल, असम, केरल, उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों के भरोसे रहने को मजबूर होगी और कहीं ऐसा न हो कि 2024 तक उसकी हालत बीजेपी के सामने मुख्य विपक्षी दल बनने की भी न रहे। क्योंकि बीजेपी दिन-रात अपने संगठन के विस्तार में जुटी हुई है और कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को कई बार दोहरा चुकी है। 
पवन उप्रेती

बिहार में महागठबंधन की मामूली हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है। उसे इस बात के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया। कांग्रेस राजनीतिक विश्लेषकों के निशाने पर भी है। कुछ लोग कांग्रेस को लंगड़े घोड़े की संज्ञा दे रहे हैं और ऐसे में पार्टी के प्रवक्ता भी इस ख़राब प्रदर्शन के लिए पूछे गए सवालों के जवाब देने में निरूत्तर साबित हो रहे हैं। 

इसके साथ ही पार्टी नेताओं के भीतर निराशा भी दिखाई देने लगी है। कांग्रेस में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य तारिक़ अनवर ने इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गया। 

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बिहार के चुनाव नतीजों वाले दिन एक-एक सीट को लेकर दिन भर जोरदार लड़ाई चली और देर रात को नतीजे घोषित हो सके। नतीजों में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, जबकि तेजस्वी की क़यादत वाला महागठबंधन 110 सीटों पर अटक गया। अगर उसे 12 सीटें और मिल जातीं तो महागठबंधन सरकार बना लेता। 

बिहार के चुनाव नतीजों पर देखिए वीडियो- 

वाम दलों से भी पिछड़ी

कांग्रेस उससे बहुत कम जनाधार रखने वाले वाम दलों से भी स्ट्राइक रेट में बहुत ज़्यादा पिछड़ गई है। उसने महागठबंधन के साथ मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और वह सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई है। उसकी तुलना में वाम दलों ने शानदार प्रदर्शन किया, जो सिर्फ 29 सीटों पर लड़कर 16 सीटें महागठबंधन की झोली में डालने में सफल रहे। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27 फ़ीसदी और वाम दलों का 55 फ़ीसदी रहा। 

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बिहार से ही आने वाले तारिक़ अनवर ने कहा कि चुनाव नतीजे निराशाजनक हैं और सीडब्ल्यूसी इनकी समीक्षा करेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनवर ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा, ‘आत्मचिंतन होना चाहिए। 2015 में हमने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा और 27 सीटें जीतीं। हमें इस बात का पता लगाना होगा कि इस बार हम 70 सीटों पर भी लड़कर 19 ही सीटें क्यों जीत पाए।’ 

सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर पार्टी छोड़कर एनसीपी में जाने वाले और फिर कांग्रेस में वापसी करने वाले अनवर ने कहा कि हमें अपनी ख़ामियों को पहचानने की ज़रूरत है कि हमसे कहां ग़लती हुई है। बिहार के कटिहार से सांसद रह चुके अनवर ने कहा कि हमारा स्ट्राइक रेट इस बार निराशाजनक रहा है। 

तारिक़ अनवर ने कहा कि ये सच है कि आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन कांग्रेस की वजह से सरकार नहीं बना सका। उन्होंने कहा कि आत्मचिंतन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही होगा।

गुरूवार को भी तारिक़ अनवर ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था, ‘महागठबंधन में शामिल आरजेडी, वाम दलों का प्रदर्शन हमसे कहीं बेहतर रहा है और अगर हमारा प्रदर्शन भी उनके जैसा होता तो आज महागठबंधन की सरकार बिहार में होती।’ 

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा है कि बिहार में पार्टी के प्रदर्शन से निराशा हुई है और उन्हें उम्मीद है कि सीडब्ल्यूसी इन नतीजों की समीक्षा करेगी। 

सहारा लेने को मजबूर

आने वाले महीनों में पश्चिम बंगाल, असम, केरल जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कांग्रेस की सियासी हैसियत और मकबूलियत ऐसी नहीं है कि वह अपने दम पर चुनाव लड़ सके। पश्चिम बंगाल में वह टीएमसी या वाम दलों, असम में बदरूद्दीन अज़मल के एआईयूडीएफ़ और केरल में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल दलों के भरोसे है। 

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निश्चित रूप से बिहार के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए आगे आने वाले राज्यों के चुनावों में मुश्किलें खड़ी करेंगे। क्योंकि तारिक़ अनवर, चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी के प्रदर्शन पर निराशा ज़ाहिर की है। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व को इस बात को समझना होगा कि दो लोकसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद अगर राज्यों में भी वह ऐसा प्रदर्शन करेगी तो उसकी सियासी हैसियत सिर्फ किसी गठबंधन में कुछ सीटें पाने लायक ही रह जाएगी। 

विस्तार में जुटी बीजेपी 

कांग्रेस आलाकमान को समझना होगा कि बिहार में ख़राब प्रदर्शन के बाद वह बंगाल, असम, केरल, उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों के भरोसे रहने को मजबूर होगी और कहीं ऐसा न हो कि 2024 तक उसकी हालत बीजेपी के सामने मुख्य विपक्षी दल बनने की भी न रहे। क्योंकि बीजेपी दिन-रात अपने संगठन के विस्तार में जुटी हुई है और कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को कई बार दोहरा चुकी है। 

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