क्या बिहार का 'बुलडोज़र राज' उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के बीच वर्चस्व की लड़ाई है? नई सरकार में भाजपा की आंतरिक राजनीति का विश्लेषण कर रहे हैं बिहार के वरिष्ठ पत्रकार समी अहमदः
बिहार बीजेपी के दो दिग्गज विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 10वीं बार शपथ लेने और नई सरकार बनने के बाद बुलडोजर राज की बहुत चर्चा है। ऊपरी तौर पर यह लग सकता है कि यह उत्तर प्रदेश के योगीराज की तरह का कोई बुलडोजर राज है लेकिन थोड़ा गौर करने से यह बात समझ में आती है कि दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने जिन दो लोगों को उपमुख्यमंत्री बनाया है उनके बीच चली आ रही रस्साकशी की वजह से बुलडोजर राज की चर्चा ज्यादा है।
एक जमाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी माने जाते थे लेकिन तब वह भारतीय जनता पार्टी की ओर से अकेले उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे। इस वक्त अगले पिछड़े को साधने की चाल में भाजपा ने सवर्ण जाति के विजय कुमार सिन्हा और पिछड़ा वर्ग से सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री बना रखा है। इन दोनों में यह देखा जाता है कि सम्राट चौधरी को प्राथमिकता मिलती है। जाहिर है यह बात विजय कुमार सिन्हा को नागवार गुजरती है।
एक तरफ विजय कुमार सिन्हा की बातों से बुलडोजर राज की झलक मिलती है तो दूसरी तरफ सम्राट चौधरी साफ तौर पर कहते हैं कि बिहार में कोई बुलडोजर राज नहीं और वह नीतीश कुमार की राज की बात करते हैं। यह बात भी सही हो सकती है कि सम्राट चौधरी दरअसल गरीबों की झोपड़ियां उजाड़ने के विपक्ष के आरोप से बचने के लिए यह सफाई दे रहे हैं लेकिन इसमें यह बात भी छिपी हुई है कि वह विजय कुमार सिन्हा की नीति से सहमत नहीं हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि एक बड़ी आबादी के बीच इसकी बहुत चर्चा है और इस बात पर चिंता भी है कि क्या यहां भी उत्तर प्रदेश का योगी और बुलडोजर राज चलेगा। इस चर्चा की वजह यह बनी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार गृह विभाग भारतीय जनता पार्टी को सौंपा और सम्राट चौधरी इसके मंत्री बने हैं। इसके बाद कुछ जगहों पर बुलडोजर से अतिक्रमण हटाने की सूचना भी आई।
ऐसा भी नहीं है कि बिहार में पहले बुलडोजर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया लेकिन जब योगी राज या बुलडोजर राज कहा जाता है तो आमतौर पर इसका मतलब यह होता है कि किसी कानून कायदे की परवाह किए बिना बुलडोजर से किसी का घर गिरा देना। बुलडोजर राज की बात को हवा देने में वैसे ही लोग ज्यादा सक्रिय हैं जो सांप्रदायिक तौर पर नाइंसाफी की कार्रवाई का समर्थन करते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि दरअसल भारतीय जनता पार्टी का समर्थक वर्ग बिहार में एक ऐसा माहौल पैदा करना चाहता है जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और बढ़े और एक तबके को यह लगे कि अब यहां भी बुलडोजर चलेगा यानी भरपूर नाइंसाफी होगी और उन्हें डरे सहमे रहना होगा। इस बुलडोजर राज की बहस में भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति को समझना चाहिए।
दरअसल सम्राट चौधरी गुरुवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए भी यह संदेश दिया की दरअसल अतिक्रमण अदालत के आदेश पर हटाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका नाम ना तो बुलडोजर बाबा है और ना ही बुलडोजर से उनका कोई संबंध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह केवल सम्राट चौधरी के नाम से ही जाने जाते हैं। वैसे तो इस बात के बारे में यह कहा गया कि दरअसल विपक्ष के आरोप को खारिज करने के लिए उन्होंने यह बात कही लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सुशासन के लिए जाना जाता है जिसके नीतीश कुमार पर्याय बन चुके हैं।
इस बयान से आसानी से समझा जा सकता है कि कैसे सम्राट चौधरी नीतीश कुमार के मॉडल की बात कर रहे हैं। जाहिर है सम्राट चौधरी का इस तरह से बात करना है नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं को भी पसंद आएगी।
दूसरी तरफ, भाजपा कोटे के दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का बयान बुलडोजर से ज्यादा करीब लगता है। उनका यह बयान छपा है कि जमीन, बालू और दारू माफिया की छाती पर बुलडोजर चलेगा। वह बिहार में राजनीतिक मौसम बदलने की बात भी कह रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि दरअसल वह जिस मौसम बदलने की बात कर रहे हैं उसमें वह यह जताना चाहते हैं कि नीतीश कुमार की राजनीति से आगे अब दूसरी तरह की राजनीति बिहार में होगी।
इन दो बयानों से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के बीच वर्चस्व की जो रस्साकशी है, उसे समझा जा सकता है और यह बात भी याद करने की है कि इन दोनों के बीच पहले भी इसी तरह का माहौल रहा है। जब विजय कुमार सिन्हा विधान सभा अध्यक्ष थे तब उनके लिए कही गई सम्राट चौधरी की 'व्याकुल नहीं होना है' वाली बात बहुत मशहूर हुई थी।
एक और बात ध्यान देने की है कि विजय सिन्हा जहां तीखे बोल के लिए जाने जाते हैं तो सम्राट चौधरी इससे दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं और वह खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रास्ते पर चलने वाला बता रहे हैं। सम्राट चौधरी का वह बयान भी काफी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने का ख ग से पहले अलिफ बे सीखा था। सम्राट चौधरी आज भले भारतीय जनता पार्टी में है लेकिन उनके परिवार की राजनीति वहां से शुरू नहीं हुई थी। इसलिए जब बिहार में बुलडोजर राज की बात हो तो इसमें भारतीय जनता पार्टी के अंदर वर्चस्व स्थापित करने की चाल पर भी ध्यान रखना चाहिए।