प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने गंभीर आरोप लगाया है कि वर्ल्ड बैंक से मिले 14000 करोड़ रुपये के कर्ज का इस्तेमाल बिहार चुनाव जीतने में किया गया। इसने यह आरोप किस आधार पर लगाया?
प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी
क्या वर्ल्ड बैंक के कर्ज के हज़ारों करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर बिहार चुनाव जीता गया? प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ल्ड बैंक के 14,000 करोड़ रुपये के लोन को डायवर्ट कर चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया। जन सुराज पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक भी सीट नहीं जीत सकी है।
जन सुराज के प्रवक्ता और प्रमुख रणनीतिकार पवन वर्मा ने शनिवार को दावा किया कि वर्ल्ड बैंक की यह रक़म मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में 10 हज़ार-10 हज़ार रुपये डालने के लिए खर्च की गई, जो वोटरों को प्रभावित करने का प्रयास था। जन सुराज का यह आरोप चुनाव परिणामों के ठीक एक दिन बाद आया है, जब एनडीए ने 202 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया, जबकि महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया। जन सुराज ने 238 से ज़्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी नहीं जीती। पार्टी ने इसे 'चुनावी धांधली' का परिणाम बताया है।
जन सुराज का दावा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि एनडीए को यह बहुमत उनके काम के आधार पर नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि जन सुराज का मानना है कि यह खरीदा गया प्रचंड बहुमत है। उन्होंने कहा कि चुनाव होते होते तक 40 हज़ार करोड़ ख़र्च करके ये बहुमत प्राप्त किया। उदय सिंह ने आरोप लगाया, '...मेरे पास अभी कागज नहीं आया है, मैं इस पर ज़्यादा नहीं बोलूंगा। लेकिन मैंने सुना है कि विश्व बैंक से जो इन्हें किसी प्रोजेक्ट के लिए कर्ज मिला था उसके भी 14000 करोड़ रुपये इन लोगों (एनडीए सरकार) ने कैश ट्रांसफर पर लगाया। बिहार की ग़रीब जनता को जो इतनी मात्रा में पैसा मिला तो उसको लगा कि यह वरदान है और इस कारण से प्रचंड बहुमत मिला।'
प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि 'बिहार का सार्वजनिक कर्ज वर्तमान में 4,06,000 करोड़ रुपये है। प्रतिदिन ब्याज 63 करोड़ रुपये है। खजाना खाली है। हमारे पास जो जानकारी है - जो गलत भी हो सकती है - उसके अनुसार, राज्य की महिलाओं को दिए गए दस-दस हज़ार रुपये वर्ल्ड बैंक से आए 21000 करोड़ रुपये के किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए थे। चुनाव संहिता लागू होने से एक घंटे पहले 14000 करोड़ रुपये निकाले गए और 1.25 करोड़ महिलाओं में वितरित कर दिए गए।'उन्होंने साफ़ किया कि यह जानकारी सटीक हो या न हो, लेकिन अगर सही साबित हुई तो यह नैतिक रूप से ग़लत है। वर्मा ने कहा, 'जैसा मैंने कहा, यह हमारी जानकारी है। अगर ग़लत है तो क्षमा माँगता हूँ। लेकिन अगर सही है तो सवाल उठता है कि यह कितना नैतिक है। क़ानूनी तौर पर शायद कुछ न किया जा सके। सरकार फंड डायवर्ट कर सकती है और बाद में स्पष्टीकरण दे सकती है। स्पष्टीकरण चुनाव के बाद आएगा। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और अन्य भाजपा शासित राज्यों में आने वाले चुनावों के लिए आप वादे करते हैं, और दूसरी पार्टी पैसे देती है, इससे वोटरों पर अलग प्रभाव पड़ता है।'
योजना बनी चुनावी 'गेम चेंजर'?
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना यानी एमएमआरवाई को बिहार सरकार ने 26 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए लॉन्च किया था। योजना का उद्देश्य 18-60 वर्ष की महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है। पहले चरण में 10000 रुपये की सहायता दी गई। इसके बाद सफलता के आधार पर 2 लाख रुपये तक अतिरिक्त मदद मिल सकती है।चुनाव से ठीक पहले 1.25 करोड़ महिलाओं के आधार-लिंक्ड बैंक खातों में 10 हज़ार रुपये ट्रांसफर किए गए, जिसकी कुल राशि क़रीब 12500 करोड़ रुपये बताई जा रही है। जन सुराज का दावा है कि यह राशि वर्ल्ड बैंक के विकास परियोजनाओं के लिए आवंटित फंड से ली गई।
पार्टी प्रवक्ता वर्मा ने कहा कि यह योजना महिलाओं के बीच एनडीए की लोकप्रियता का प्रमुख कारण बनी। उन्होंने पीएम मोदी के 'फ्रीबीज' विरोध को याद दिलाते हुए तंज कसा, 'पीएम मोदी ने खुद फ्रीबीज की आलोचना की है। शायद दिल्ली विधानसभा और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के संदर्भ में कहा था। अब बिहार में क्या हुआ?'
जन सुराज की हार का कारण क्या?
जन सुराज ने अपनी हार का कारण शराबबंदी हटाने के वादे को खारिज किया। वर्मा ने कहा, 'अगर शराबबंदी वास्तव में लागू होती तो यह मुद्दा बनता। लेकिन हर कोने में शराब बिक रही है। होम डिलीवरी हो रही है, ऊँचे दामों पर। लोग पी रहे हैं और ज्यादा पैसे दे रहे हैं। क्या इससे घर चलाने वाली महिलाओं पर असर नहीं पड़ता?'
उन्होंने आरोप लगाया कि शराबबंदी के बावजूद दो लाख से अधिक लोग, ज्यादातर अति पिछड़े दलित समुदायों से, जेल में हैं। कई तो जमानत के पैसे भी नहीं जुटा पाते। वर्मा ने कहा, 'हमारी हार का कारण नीतीश जी ने महिलाओं के लिए जो किया और अंतिम क्षणों में 10000 रुपये का ट्रांसफर है...।'
चुनाव में जन सुराज को झटका!
बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज को बड़ा झटका लगा। पार्टी ने 238 से ज़्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी नहीं जीती। एनडीए ने 202 सीटें जीतकर 243 सदस्यीय सदन में तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया। यह दूसरी बार है जब गठबंधन ने 200 से अधिक सीटें जीतीं, 2010 में 206 सीटें मिली थीं। भाजपा और जदयू ने मिलकर बहुमत का जादू चलाया। महागठबंधन को सिर्फ़ 35 सीटें मिलीं।