बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हार्डिंग रोड में नया आवास आवंटित करने का आदेश इस तरह जारी किया है जैसे यह सामान्य बात हो, लेकिन इसमें एक राजनीतिक चालाकी की बात कही जा रही है।

वह चालाकी यह है कि सरकारी पत्र में उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवास देने की बात नहीं लिखी गई है बल्कि उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मकान आवंटित करने की बात लिखी गई है। पिछले 20 वर्षों से वह 10 सर्कुलर रोड में रह रही थीं और अब उन्हें 39 हार्डिंग रोड का क्वार्टर दिया गया है। सर्कुलर रोड वाले मकान की सुविधाओं के अलावा सबसे अहम बात यह है कि मुख्यमंत्री आवास वहां से बिल्कुल नजदीक है।
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सरकारी आदेश में क्या लिखा है?

पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को नया आवास देने का सरकारी आदेश 25 सितंबर को भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव सह भू संपदा पदाधिकारी शिवरंज की ओर से निकाला गया है। इसमें कहा गया है कि नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान परिषद् के आवासन हेतु पटना केन्द्रीय पूल का आवास संख्या-39, हार्डिंग रोड, पटना कर्णांकित किया जाता है। “तदनुसार पूर्वादेश को विखण्डित करते हुए श्रीमती राबड़ी देवी, माननीय नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान परिषद् को नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान परिषद् हेतु कर्णांकित आवास संख्या-39, हार्डिंग रोड, पटना आवंटित किया जाता है।” इस आदेश में यह भी कहा गया है कि प्रस्ताव में सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन प्राप्त है।

एक पूर्व आईएएस अधिकारी का कहना है कि अब इस बात की भी चर्चा होगी कि क्या राबड़ी देवी को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री उस आवास से हटाना सही कदम है।
दरअसल, पुराने मकान से निकालना और नया मकान देने का मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले विपक्षी नेताओं के लिए जो लिहाज रखते थे उसे अब बरता नहीं जा रहा है और इसकी भी संभावना है कि यह फैसला नीतीश कुमार के स्तर पर न होकर कोई और ले रहा है। आरजेडी का तो साफ तौर पर मानना है कि यह आदेश भाजपा के इशारे पर ही जारी हुआ है।

राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने इस मामले में भवन निर्माण मंत्री का नाम लिए बिना कहा है कि वह सुलझे हुए व्यक्ति हैं लेकिन यह आदेश भाजपा की बढ़ती दखलंदाजी की निशानी है। वैसे, भवन निर्माण विभाग नीतीश कुमार के करीबी और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी के पास है।

चुनावी नतीजे के 11 दिन में यह फ़ैसला

राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर हैरानी जता रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के परिणाम के 11 दिनों बाद ही आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि सरकारी आदेश इतनी जल्दी निकाला गया। इसकी भी संभावना है कि जदयू और बीजेपी में वैसे लोग राबड़ी देवी और लालू परिवार से बदला ले रहे हैं जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते। जाहिर है कि ऐसे तत्व नहीं चाहते कि कभी घूमते फिरते नीतीश कुमार बगल में स्थित लालू प्रसाद के क्वार्टर में जाकर उनसे मुलाकात करें या लालू परिवार का कोई सदस्य उधर जा सके।

अखबारी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जब उन्हें 10 सर्कुलर रोड का मकान दिया गया था तब उनके पूर्व मुख्यमंत्री होने का जिक्र था। जहां तक विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष होने की बात है तो उनसे यह मकान तब भी वापस नहीं लिया गया जब राजद के विधान पार्षदों की संख्या कम होने की वजह से उनके पास नेता प्रतिपक्ष होने लायक संख्या बल नहीं थी।
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ध्यान रहे कि राबड़ी देवी के इसी मकान में राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी रहते रहे हैं। लोग मजाक से यह भी कहते थे कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के आवास इतने आसपास हैं कि नीतीश कुमार किसी भी दिन आसानी से उधर जाकर नया गठबंधन बना सकते थे। लेकिन यह आज भले मजाक लगता हो लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसा नीतीश कुमार दो-तीन बार कर चुके हैं।

ध्यान रहे कि नीतीश कुमार ने जब-जब पलटी मारी है तो उनके लिए लालू-राबड़ी का आवास भी नजदीक हुआ करता था और राज्यपाल से मिलने राजभवन भी वह पैदल ही जाया करते थे।

नीतीश का सरकार में दखल कम?

मकान बदलने का नया आदेश नीतीश कुमार के बारे में एक और स्पष्ट संकेत देता है कि सरकार में उनका दखल कम हो रहा है और भारतीय जनता पार्टी अपनी पकड़ और मजबूत कर रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि नीतीश कुमार अगर अपनी सही सेहत में रहते और सरकार पर उनकी पकड़ पहले जैसी मजबूत रहती तो वह इस तरह के आदेश को रद्द करवा देते।
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सरकार यह कह सकती है कि उन्होंने केवल राबड़ी देवी का आवास नहीं बदला बल्कि सभी 26 मंत्रियों को बंगले आवंटित करने के दौरान ऐसा किया गया है। लेकिन मंत्रियों को तो पहले भी आवास आवंटित किए जाते रहे हैं और इससे पहले रबड़ी देवी का आवास नहीं बदल गया था। वैसे, बिहार में सरकारी क्वार्टर के आवंटन को लेकर विवाद पहले भी रहा है लेकिन कुछ नेताओं को इससे दूर रखा जाता था।

यह बात भी याद रखने की है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने पर भी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार, मंगल पांडेय और नितिन नवीन जैसे लोगों का आवास खाली नहीं कराया गया था। वैसे, यह देखना भी दिलचस्प होगा कि सर्कुलर रोड वाला राबड़ी देवी का आवास अब किसे दिया जाता है।