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फ़ोटो साभार: ट्विटर/@MrShivram4

रेलवे भर्ती के रिजल्ट पर बिहार में उबाल क्यों; क्या घोटाला हुआ?

रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा हाल ही में विभिन्न नौकरियों के लिए निकाले गये पीटी के रिजल्ट में कथित घपला, हाई कट-ऑफ़ और वादे से काफ़ी कम उम्मीदवारों को सफल घोषित करने की शिकायत पर बिहार के उम्मीदवार सोमवार से उबल पड़े हैं। मंगलवार को फतुहा और बक्सर स्टेशन पर इन उम्मीदवारों के प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनें बदले रास्ते से चलायी गयीं जबकि कुछ को अपनी मंजिल से पहले ही रोक दिया गया और वहीं से रवाना भी किया गया। इसके अलावा गया, जहानाबाद और अन्य जगहों पर भी ट्रेनें रोकी गयीं।

सोमवार को पटना और आरा में इन उम्मीदवारों ने जमकर बवाल किया। राजेन्द्रनगर टर्मिनल पर इन उम्मीदवारों ने आठ घंटे तक ट्रैक को जाम कर रखा जिससे राजधानी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। उम्मीदवारों को ट्रैक से हटाने के लिए पुलिस ने जब आंसू गैस के गोले दागे और लाठी चार्ज किया तो उम्मीदवारों ने भी पत्थर फेंके और आगजनी की कोशिश की। इस बवाल के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 500 के ख़िलाफ़ राजेन्द्रनगर जीआरपी में केस दर्ज किया गया है।

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नौकरी पर आजीवन प्रतिबंध की चेतावनी

दो दिनों के बवाल के बाद मंगलवार को रेलवे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष की ओर से यह चेतावनी दी गयी है कि जो उम्मीदवार उपद्रव में शामिल पाये जाएंगे उन्हें रेलवे की नौकरी पाने से आजीवन प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। अध्यक्ष की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह संज्ञान में आया है कि रेलवे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवार रेलवे पटरियों पर विरोध-प्रदर्शन, ट्रेन संचालन में व्यवधान और रेलवे संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाने जैसे ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में संलिप्त हुए हैं। इस बयान में कहा गया है कि ऐसी गतिविधियों के वीडियो की विशेष एजेंसियों की मदद से जांच करायी जाएगी और इनमें शामिल पाये गये उम्मीदवारों पर पुलिस कार्रवाई की जा सकती है।

आन्दोलन का कारण

रेलवे भर्ती बोर्ड की जिस भर्ती परीक्षा के रिजल्ट को लेकर इतना बवाल मचा है उसे आम तौर पर एनटीपीसी या नन-टेक्निकल पॉपुलर कैटगरी का इम्तिहान कहा जाता है। आन्दोलन करने वालों का कहना है कि 2019 में रेल मंत्रालय ने 35277 पदों के लिए स्नातक स्तरीय परीक्षा की वैकेंसी निकाली थी। इसके लिए दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक अलग-अलग तारीखों में परीक्षा ली गयी। इस साल 14 जनवरी को इसकी प्रारंभिक परीक्षा- पीटी का रिजल्ट आया है।

पहले यह बताया गया था कि पदों की जितनी संख्या है उससे बीस गुना उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए मौका दिया जाएगा। इस लिहाज से हर पद के लिए क़रीब 7 लाख उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए कामयाब करार दिया जाना चाहिए। बोर्ड ने ऐसा ही किया है लेकिन इसमें एक खेल भी कर दिया है। इन 7 लाख कामयाब उम्मीदवारों में क़रीब 4 लाख ऐसे हैं जो एक से अधिक पदों पर कामयाब हुए हैं।

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल का कहना है कि वास्तविकता यह है कि पीटी के रिजल्ट में 2 लाख 76 हजार उम्मीदवारों को ही अगली परीक्षा के लिए सफल घोषित किया है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों की मांग है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी के हिसाब से रिजल्ट देना चाहिए था।

इधर, पटना के डीएम चंद्रशेखर का कहना है कि इन उम्मीदवारों को कोचिंग संस्थानों द्वारा उकसाया गया है। उन्होंने ऐसे कोचिंग वालों की पहचान कर उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की बात कही है।

पटना प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का प्रमुख केन्द्र रहा है। यह बात भी सही है कि यहां काफी संख्या में इसके लिए कोचिंग सेन्टर चलते हैं। कोचिंग सेन्टर चलाने वाले एक सूत्र के अनुसार रेलवे की परीक्षाओं में बिहार से बहुत बड़ी संख्या में उम्मीदवार होते हैं। एनटीपीसी के अलावा ग्रुप डी की परीक्षा को मिला लिया जाए तो बिहार के क़रीब 25 लाख उम्मीदवारों ने इन इम्तिहानों में हिस्सा लिया है। उन उम्मीदवारों को इस रिजल्ट से बहुत मायूसी हुई है।

उन उम्मीदवारों में भी काफी गुस्सा है जो ग्रुप डी की परीक्षा के बाद नौकरी की उम्मीद लगाये बैठे हैं। इसके लिए एक लाख 37 हजार पदों पर बहाली होनी है। पहले इसके लिए एक ही परीक्षा लेने की बात की गयी थी मगर इसके लिए भी दो परीक्षा लेने की बात हो रही है। इस कारण भी उम्मीदावारों में उबाल है। राहुल गांधी ने इसको लेकर निशान साधा है। 

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बिहार में प्राइवेट नौकरियाँ बहुत कम होने और राज्य सरकार की नौकरियों में भी ठेका-प्रथा के प्रचलन के कारण केन्द्र सरकार की नौकरियों के लिए जबर्दस्त आकर्षण पाया जाता है। उनमें रेलवे की नौकरी काफ़ी लोकप्रिय है और इस बार यह अवसर लंबे समय के बाद मिला है। बिहार सरकार में साझीदार भारतीय जनता पार्टी ने 2020 में राज्य में 19 लाख रोजगार देने की घोषणा की थी मगर उसके लिए कोई खास पहल नज़र नहीं आती।

मंगलवार को प्रभावित हुईं ट्रेनें

पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि प्रदर्शन के कारण मंगलवार को पटना से खुलने वाली 12568 पटना- सहरसा राज्यरानी एक्सप्रेस और पटना-कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग से पाटलिपुत्र-हाजीपुर-बरौनी के रास्ते कराया गया।

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इसके अलावा राजगीर से खुल चुकी 12391 राजगीर-नई दिल्ली श्रमजीवी एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग आरा-सासाराम-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते कराना पड़ा। साथ ही पटना से खुल चुकी 13237 पटना-कोटा एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग दानापुर-पाटलिपुत्र-छपरा ग्रामीण-वाराणसी के रास्ते कराया गया। इसी तरह दानापुर से खुल चुकी 12792 दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग नेउरा-सासाराम-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते कराया गया और हावड़ा से खुल चुकी 12303 हावड़ा-नई दिल्ली पूर्वा एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग वाया किऊल-गया-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. के रास्ते कराया गया। मधुपुर से खुलने वाली 22459 मधुपुर-आनंद विहार टर्मिनल हमसफर एक्सप्रेस का परिचालन परिवर्तित मार्ग किऊल-गया-पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते कराया गया।

इस आन्दोलन के कारण 26 जनवरी को दुर्ग से खुलने वाली 13287 दुर्ग-राजेंद्र नगर टर्मिनल साउथ बिहार एक्सप्रेस का परिचालन रद्द कर दिया गया।

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समी अहमद
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