पिछले कई महीनों से इस तरह की आशंका बिहार में थी कि बीजेपी कोई सियासी तिकड़म लगाकर राज्य में सरकार बना सकती है। इसे देखते हुए जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ नज़दीकियां बढ़ाना शुरू कर दिया था।
चाहे इफ्तार पार्टी का मामला हो या फिर विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार से आकर अकेले में मुलाकात करना या फिर नीतीश कुमार का केंद्र सरकार के कार्यक्रमों से दूरी बनाना, इससे साफ पता चल रहा था कि नीतीश अब जल्द ही बीजेपी का साथ छोड़ने वाले हैं। अंत में नीतीश ने गठबंधन तोड़ ही दिया।
अमित शाह के बढ़ते ‘नियंत्रण’ से नाराज़ थे नीतीश कुमार?
- बिहार
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- 9 Aug, 2022
बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री कब बनेगा, यह सवाल बीजेपी के नेताओं के बीच चर्चा का मुद्दा था। क्या नीतीश इससे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दख़ल से खतरा महसूस कर रहे थे?

ऐसा नहीं था कि बीजेपी इसे भांप नहीं पाई थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुछ दिन पहले पटना में ही इस बात को कहा था कि 2024 और 2025 का चुनाव बीजेपी और जेडीयू मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने ऐसा कहकर नीतीश को मनाने की कोशिश की थी।