बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के संरक्षक लालू प्रसाद यादव के परिवार में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। लालू जी की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर कुछ सांकेतिक पोस्ट साझा कर पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को जाहिर किया है। लालू परिवार और पार्टी में तनाव बढ़ रहा है। 2022 में अपने पिता को किडनी दान करने वाली रोहिणी ने संजय यादव पर निशाना साधा है, जो पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार हैं।
18 सितंबर से यह विवाद जारी है। रोहिणी ने एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के पोस्ट को शेयर किया, जिसमें संजय यादव पर ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान बस की अगली सीट पर बैठने का आरोप लगाया गया था। यह सीट आमतौर पर लालू प्रसाद या तेजस्वी यादव जैसे शीर्ष नेताओं के लिए आरक्षित होती है। पोस्ट वायरल होने के बाद रोहिणी ने दलित समुदाय के पूर्व विधायक शिव चंद्र राम जैसे हाशिए पर पड़े नेताओं की तस्वीरें शेयर कीं, जो उसी सीट पर बैठे दिख रहे थे। उन्होंने लिखा, “राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय लालू यादव जी द्वारा सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए चलाए जा रहे अभियान का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े वंचित वर्ग को आगे लाना रहा है। इन तस्वीरों में इन्हीं वर्गों से आने वाले लोगों को आगे बैठे देखना सुखद अनुभव है।”
19 सितंबर को रोहिणी ने सिंगापुर में किडनी दान के दौरान ऑपरेशन थिएटर ले जाते समय की पुरानी तस्वीर शेयर की और लिखा, “जो अपनी जान को हथेली पर लादे फिरते हैं, उनमें सबसे बड़े बलिदान देने का साहस होता है। निडरता, साहस, स्वाभिमान इनके रगों में दौड़ता है।” उसी दिन उन्होंने स्पष्ट किया, “मैंने बेटी और बहन के रूप में अपना कर्तव्य और धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी। मेरे पास किसी पद की लालसा नहीं है, न ही कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा। मेरे लिए मेरा स्वाभिमान सर्वोपरि है।”
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पिता से लेकर भाई-बहन को एक्स पर अनफॉलो किया

20 सितंबर को विवाद चरम पर पहुंचा। रोहिणी ने एक्स पर लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और मीसा भारती समेत सभी शीर्ष आरजेडी नेताओं को अनफॉलो कर दिया। सूत्रों के अनुसार, रोहिणी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन तेजस्वी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में सारण सीट से हारने के बाद संजय यादव के प्रभाव को इसके पीछे का कारण माना जा रहा है। मई 2025 में तेज प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित करने के दौरान भी उन्होंने संजय को ‘जयचंद’ करार दिया था, जिसने परिवार में पहले से मौजूद तनाव की पुष्टि की।

मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहींः रोहिणी

21 सितंबर को रोहिणी ने सफाई देते हुए कहा, “मेरे संदर्भ में ट्रोल्स, दुष्प्रचार करने वाले, खरीदे हुए मीडिया और पार्टी हथियाने की खराब नीयत रखने वालों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें आधारहीन हैं। मेरी छवि खराब करने का घृणित कैंपेन हैं। मेरे पास न तो अतीत में, न अब और न ही भविष्य में कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है।” उन्होंने आगे जोड़ा, “मैं न विधानसभा चुनाव की प्रत्याशी बनना चाहती हूं, न किसी को बनवाना चाहती हूं, न ही राज्यसभा सदस्य बनने की इच्छा रखती हूं। मेरे परिवार के किसी सदस्य से कोई वैमनस्य नहीं है, न ही पार्टी या भविष्य की सरकार में किसी पद की चाहत है। मेरे लिए मेरा स्वाभिमान, माता-पिता के प्रति सम्मान और श्रद्धा तथा परिवार का मान सर्वोपरि है।”
तेज प्रताप यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो मेरी बहनों का अपमान करेगा, उसे भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र झेलना पड़ेगा।”

लालू परिवार की कलह चुनाव पर असर डाल सकती है

बिहार चुनाव से पहले आरजेडी में यह आंतरिक कलह पार्टी की एकजुटता को प्रभावित कर सकती है। संजय यादव के बढ़ते प्रभाव और रोहिणी को हाशिए पर कथित तौर पर धकेलने से पार्टी के भीतर विभाजन पैदा हो सकता है। यह चुनावी रणनीति और जन छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। सोशल मीडिया पर फैले इस विवाद का फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लालू परिवार की यह फूट आरजेडी के लिए चुनौती बन सकती है, खासकर जब महागठबंधन की सरकार बचाने की जद्दोजहद चल रही हो।
आरजेडी नेताओं ने अभी तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा जल्द सुलझा लिया जाएगा। बिहार की सियासत में लालू परिवार का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और यह विवाद चुनावी समीकरणों को कैसे प्रभावित करता है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।