2029 का लोकसभा चुनाव अभी काफ़ी दूर है, लेकिन आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के अगले पीएम बनने का दावा कर इंडिया गठबंधन के पीएम चेहरे पर स्थिति साफ़ कर दी है। लेकिन क्या इंडिया गठबंधन के दूसरे दल भी इससे सहमत होंगे? क्या वे अगले चुनाव के लिए पीएम उम्मीदवार के लिए राहुल के नाम पर सहमत होंगे? यदि ऐसा है तो 2024 के चुनाव में राहुल के नाम पर सहमति क्यों नहीं बन पाई थी? 

इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि आख़िर राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को राहुल गांधी के नाम को लेकर क्या कहा है। तेजस्वी ने नवादा में आयोजित एक रैली में दावा किया कि अगले लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। यह बयान कांग्रेस की 'वोटर अधिकार यात्रा' के तीसरे दिन नवादा जिले में आयोजित एक सभा के दौरान दिया गया। इसमें तेजस्वी ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को 'पुरानी और खटारा' करार देते हुए इसे उखाड़ फेंकने और युवा पीढ़ी को सत्ता सौंपने की बात कही।
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तेजस्वी ने कहा, "नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार 'खटारा' हो गई है और इसे तत्काल बदलने की जरूरत है। युवाओं को अब मौका मिलना चाहिए... हमारे पास बिहार के लिए एक विजन है। युवाओं ने संकल्प लिया है कि वे इस पुरानी और खस्ताहाल सरकार को सत्ता से हटाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि अगले लोकसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें।"

2029 के लोकसभा चुनावों के लिए अभी समय है, लेकिन भारतीय राजनीति में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी INDIA गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन सकते हैं। तेजस्वी यादव ने जो दावा किया है उससे यह सवाल और भी जोर-शोर से उठने लगा है। यह बयान न केवल बिहार की राजनीति, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन की रणनीति और राहुल गांधी की स्थिति को लेकर चर्चाओं को हवा देता है। 

तेजस्वी यादव ने तो राहुल गांधी का नाम आगे कर दिया, लेकिन क्या गठबंधन के दूसरे नेता उन्हें अपना नेता चुनेंगे, कौन उनका समर्थन करेगा और कौन नहीं, और 2024 के लोकसभा चुनावों से क्या संकेत मिलते हैं।

2024 के लोकसभा चुनावों से संकेत

2024 का लोकसभा चुनाव भारत की राजनीति के लिए एक अहम मोड़ साबित हुआ। बीजेपी और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 293 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया, लेकिन बीजेपी अपने दम पर 240 सीटों के साथ बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतीं, जिनमें कांग्रेस की 99 सीटें थीं, जो पिछले दस वर्षों में उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन था। यह प्रदर्शन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'न्याय गारंटी' जैसे वादों का परिणाम माना जा रहा है।

2024 के चुनावों में राहुल गांधी की छवि एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में उभरी। उनकी 'संविधान बचाओ' और 'जातिगत जनगणना' की मांग ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इंडिया गठबंधन को मजबूती दी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन और महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सफलता ने दिखाया कि विपक्षी एकता बीजेपी को चुनौती दे सकती है। हालांकि, बीजेपी की '400 पार' की उम्मीदें धराशायी हुईं और नरेंद्र मोदी को तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल यूनाइटेड जैसे गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ा। इससे यह संकेत मिलता है कि 2029 में अगर विपक्ष एकजुट रहता है तो वह सत्ता हासिल करने की स्थिति में हो सकता है।
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राहुल की उम्मीदवारी की संभावनाएँ

राहुल गांधी को 2024 में लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना गया, जो उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता को दिखाता है। उनकी 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' ने उन्हें जनता के बीच एक गंभीर नेता के रूप में स्थापित किया। युवाओं और वंचित वर्गों के बीच उनकी अपील बढ़ी है, क्योंकि उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। फिर भी, उनकी पीएम उम्मीदवारी की राह में कई चुनौतियां हैं।

सर्वेक्षणों के अनुसार, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी राहुल गांधी से कहीं आगे है। लेकिन पिछले साल रिपोर्टें आई थीं कि दोनों नेताओं के बीच यह अंतर काफी कम हुआ है। पिछले साल मूड ऑफ द नेशन सर्वे में भी 'मोदी के बाद कौन' के सवाल के पर राहुल गांधी सबसे ऊपर थे। इसके अलावा, राहुल की छवि को लेकर बीजेपी का 'पप्पू' और 'मौसमी राजनीतिज्ञ' वाला नैरेटिव अभी भी कुछ वर्गों में प्रभावी है। हालाँकि, उनकी छवि हाल के महीनों में काफ़ी सुधरी है। कुछ विश्लेषणों में कहा गया कि 2024 में उनकी परफॉर्मेंस में सुधार हुआ, लेकिन सत्ता हासिल करना मुश्किल रहा।

राहुल गांधी

इंडिया गठबंधन में राहुल की स्थिति

इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी की स्थिति मजबूत है, क्योंकि कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। आरजेडी जैसे सहयोगी दलों का समर्थन उनकी उम्मीदवारी को बल देता है। मणिकम टैगोर और डॉ. उदित राज जैसे कांग्रेस के कई नेता भी राहुल को गठबंधन का चेहरा बनाने के पक्ष में हैं। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और सीपीआई (एमएल) जैसे सहयोगी भी उनके साथ मजबूती से खड़े दिखते हैं, खासकर उत्तर भारत में।

हालांकि, गठबंधन के कुछ दल राहुल की उम्मीदवारी पर सहमत नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी को लेकर अटकलें हैं कि वह खुद को या किसी अन्य नेता को गठबंधन का चेहरा बनाना चाहती हैं। 2023 में ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पीएम उम्मीदवार के रूप में सुझाया था, जिसे राहुल के नाम पर असहमति के रूप में देखा गया। आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव को पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया था, हालांकि बाद में इन दावों को वापस ले लिया गया। माना जाता है कि 2024 के चुनावों से पहले पीएम चेहरे के नाम पर ही नीतीश कुमार की जेडीयू भी 2024 में एनडीए में शामिल हो गई, जिससे गठबंधन की एकता को झटका लगा।

कौन समर्थन में, कौन खिलाफ?

सहमत:
  • RJD: तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी का खुलकर समर्थन किया है। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस की मजबूत साझेदारी 2024 में भी दिखी।
  • SP: अखिलेश यादव ने 2024 में कांग्रेस के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया और उनकी राहुल के प्रति सकारात्मक रुख की संभावना है।
  • वामपंथी दल: ये दल सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दों पर राहुल के साथ हैं।
  • कांग्रेस के आंतरिक नेता: सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य कांग्रेस नेता राहुल को गठबंधन का चेहरा मानते हैं।
असहमत या तटस्थ:
  • TMC: ममता बनर्जी की पार्टी ने राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं और ममता को गठबंधन का नेता बनाने की मांग की है।
  • AAP: अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप ने 2023 में अपने पीएम उम्मीदवार के रूप में केजरीवाल का नाम लिया था, हालांकि बाद में इसे खारिज किया गया।
  • अन्य क्षेत्रीय दल: बीएसपी, वाईएसआर कांग्रेस, और बीजेडी जैसे दल INDIA का हिस्सा नहीं हैं और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे राहुल की उम्मीदवारी को अप्रत्यक्ष नुकसान हो सकता है।
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विपक्षी एकता की चुनौती

2024 के चुनावों ने दिखाया कि विपक्षी एकता बीजेपी को चुनौती दे सकती है, लेकिन गठबंधन के भीतर नेतृत्व और सीट बँटवारे को लेकर मतभेद एक बड़ी बाधा हैं। 2023 में मुंबई में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, और ममता बनर्जी जैसे नेताओं के नाम पीएम उम्मीदवार के रूप में उछले, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। यदि 2029 तक गठबंधन एक चेहरा चुनने में विफल रहता है, तो बीजेपी की जीत आसान हो सकती है।

राहुल गांधी की 2029 में पीएम उम्मीदवारी की संभावना 2024 के प्रदर्शन और उनकी बढ़ती स्वीकार्यता पर निर्भर करती है। उनकी 'भारत जोड़ो यात्रा' और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर फोकस ने उन्हें एक मजबूत विपक्षी नेता बनाया है, और आरजेडी, एसपी, और वामपंथी दलों का समर्थन उनकी स्थिति को मजबूत करता है। हालांकि, टीएमसी और आप जैसे दलों की असहमति और गठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता उनकी राह में रोड़ा हैं। 2024 के चुनावों ने यह संकेत दिया कि यदि INDIA गठबंधन एकजुट रहता है और एक साझा एजेंडा पेश करता है तो वह सत्ता में आ सकता है। लेकिन सवाल है कि राहुल गांधी को पीएम कैंडिडेट के रूप में स्वीकार करने के लिए गठबंधन क्या अपनी आंतरिक महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित कर पाएगा? अगले कुछ वर्षों में राहुल की रणनीति और गठबंधन की एकता यह तय करेगी कि क्या वह 2029 में देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं।