प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर छापेमारी के बाद उनके बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ़्तार कर लिया। यह कार्रवाई चैतन्य के ख़िलाफ़ कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गई। संयोग से चैतन्य का आज जन्मदिन है। ईडी ने यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत नई जानकारी मिलने के बाद शुरू की। यह इस साल मार्च के बाद दूसरी बार है जब ईडी ने बघेल के घर पर छापा मारा है। ईडी की कार्रवाई पर बघेल ने कहा है कि रायगढ़ के तमनार में अडानी के लिए पेड़ काटने का मुद्दा आज सदन में उठाया जाना था, साहेब ने भिलाई निवास पर ईडी भेज दी।

सुबह करीब 6 बजे ईडी की एक 12 सदस्यीय टीम, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के साथ दुर्ग जिले की भिलाई में बघेल के घर पहुंची। यह घर भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल दोनों का साझा निवास है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह छापेमारी चैतन्य बघेल के ख़िलाफ़ चल रही जाँच का हिस्सा है, जिसमें उन्हें कथित शराब घोटाले से प्राप्त अवैध धन का लाभार्थी बताया गया है। ईडी ने इस मामले में कई दस्तावेजों की जाँच की और कुछ अहम सबूत जुटाए।
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पुलिस और सीआरपीएफ़ के भारी बल को घर के बाहर तैनात किया गया था, क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ वहाँ जमा हो गई थी। कार्यकर्ताओं ने ईडी और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की और कुछ ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश भी की। मार्च में हुई पिछली छापेमारी के दौरान भी कांग्रेस समर्थकों ने विरोध किया था, जिसमें ईडी की गाड़ी पर पथराव की घटना हुई थी। इस बार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दुर्ग जिले के सभी पुलिस स्टेशनों से अतिरिक्त बल बुलाया गया।

क्या है शराब घोटाला?

ईडी के अनुसार यह कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। इस घोटाले में 2,100 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध कमाई होने का दावा किया गया है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। ईडी का कहना है कि इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और शराब कारोबारियों ने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया। इस सिंडिकेट ने कई तरीकों से अवैध धन कमाया।
  • शराब की प्रत्येक 'केस' पर रिश्वत लेना।  
  • सरकारी दुकानों में बिना हिसाब-किताब वाली देसी शराब की बिक्री।  
  • शराब कारोबारियों को निश्चित बाजार हिस्सेदारी के लिए रिश्वत देना।
ईडी का दावा है कि इस घोटाले का पैसा राज्य के खजाने में नहीं गया, बल्कि सिंडिकेट के लोगों ने इसे आपस में बाँट लिया। चैतन्य बघेल को इस अवैध धन का एक लाभार्थी माना जा रहा है। इस मामले में ईडी ने पहले पूर्व मंत्री कवासी लखमा, रायपुर के मेयर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य को गिरफ्तार किया था।

कार्रवाई राजनीतिक साज़िश: बघेल

भूपेश बघेल ने इस छापेमारी को राजनीतिक साज़िश करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'ईडी आ गई। आज विधानसभा सत्र का आखिरी दिन है। रायगढ़ के तमनार में अडानी के लिए पेड़ काटने का मुद्दा आज सदन में उठाया जाना था। साहेब ने भिलाई निवास पर ईडी भेज दी।' बघेल का इशारा केंद्र सरकार की ओर था और उन्होंने इसे कांग्रेस की आवाज दबाने की कोशिश बताया।
उन्होंने कहा, 'अपने आका को खुश करने के लिए मोदी और शाह ने मेरे घर ईडी भेज दी है। हम न डरने वाले हैं और न झुकने वाले हैं। भूपेश बघेल नहीं डरेंगे। हम सच्चाई की लड़ाई लड़ेंगे। एक तरफ बिहार में चुनाव आयोग की मदद से मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए ईडी, आईटी, सीबीआई, डीआरआई का दुरुपयोग किया जा रहा है। लेकिन अब देश की जनता समझ गई है और अच्छी तरह से जागरूक है।'
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बघेल ने पहले भी मार्च 2025 में हुई छापेमारी को राजनीतिक बताया था। तब उन्होंने कहा था कि ईडी को उनके घर से 32-33 लाख रुपये नकद मिले, जो उनके बड़े संयुक्त परिवार और 140 एकड़ की खेती से आए थे। उन्होंने दावा किया था कि ईडी को कोई ग़ैरक़ानूनी सबूत नहीं मिला, सिवाय कुछ बीजेपी नेताओं से जुड़े दस्तावेजों के।

राजनीतिक विवाद

इस छापेमारी ने छत्तीसगढ़ में सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने इसे केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का हथियार बताया। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। दूसरी ओर, सरकार की ओर से कहा गया है कि सरकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। इसने कहा है कि कांग्रेस सरकार के दौरान कई घोटाले हुए और केंद्रीय एजेंसियां उनकी जांच कर रही हैं।

पहले भी हो चुकी हैं छापेमारियाँ

यह पहली बार नहीं है जब भूपेश बघेल के परिवार पर जांच एजेंसियों की नजर पड़ी है। मार्च 2025 में भी ईडी ने शराब घोटाले के सिलसिले में उनके भिलाई और रायपुर स्थित घरों पर छापा मारा था। उस समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था और ईडी की गाड़ी पर पथराव की घटना हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इसके अलावा, केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने भी मार्च में महादेव बेटिंग ऐप घोटाले के सिलसिले में बघेल के घर पर छापेमारी की थी। बघेल ने उस समय भी इसे राजनीतिक साजिश बताया था।
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सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था मामला

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस शराब घोटाले से जुड़े ईडी के पहले मामले को खारिज कर दिया था, जो आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित था। इसके बाद ईडी ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को नया FIR दर्ज करने को कहा। 17 जनवरी 2024 को नयी FIR दर्ज हुई, जिसमें 70 लोगों और कंपनियों के नाम थे। इनमें कवासी लखमा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड शामिल थे। ईडी ने अब तक इस मामले में 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

ईडी की यह छापेमारी छत्तीसगढ़ के सियासी माहौल को और गर्म कर सकती है, खासकर तब जब विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। बघेल और कांग्रेस ने इस कार्रवाई को केंद्र सरकार की साजिश बताया है, जबकि बीजेपी का कहना है कि यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।