बानवे बरस की उम्र में भी, आशा भोसले की हँसी में वही शोखी और है, जैसे कोई सोलह साल की नवयौवना गुनगुना रही हो। और उनकी आवाज़? वो तो अब भी वैसी ही है- जो आधी सदी से ज़्यादा वक़्त तक अपनी गायकी से आपकी ज़िंदगी को रूमानी बनाती रही। कहती हैं, “अभी तो मुझे बहुत कुछ देना है!” कौन इस बात पर शक करेगा? वो जोश, वो जुनून, उसे कैसे बांधा जाए, जो हर खाँचे से फिसलकर बाहर निकल आता है?
जहां आशा है, वहां ज़िंदगी है!
- सिनेमा
- |
- |
- 10 Sep, 2025

महान गायिका आशा भोसले
महान पार्श्वगायिका आशा भोसले का जीवन केवल संगीत तक सीमित नहीं रहा। उनका सफर परंपराओं को चुनौती देने वाला रहा है। जानें उनकी उपलब्धियाँ और संघर्ष की कहानी।
आशा भोसले बस एक गायिका नहीं; वो बग़ावत की मखमली आवाज़ हैं, सांसों पर सवार दुस्साहस, और आधुनिक हिंदुस्तानी औरत की वो धुन, जो अपनी सारी रंग-बिरंगी उलझनों के साथ ज़िंदगी को गाती है, जीती है। 1958 में “आइए मेहरबान” के साथ मधुबाला की मोहक अदा को उनकी आवाज़ ने नया जामा पहनाया, और 1995 में “रंगीला” में उर्मिला की थिरकन को नाइटक्लब का माहौल तैयार किया।
उनकी ज़िंदगी ही उन रूढ़ियों को ठेंगा दिखाती है, जो उनकी पीढ़ी की औरतों पर थोपी गई थीं। सोलह की उम्र में गणपतराव भोसले से ब्याह, फिर जल्द ही तलाक, और फिर ज़रूरतों ने उन्हें वो रास्ता दिखाया, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से चमकाया। आशा का रास्ता आसान न था—भूख थी, जद्दोजहद थी, और जीने की ज़िद थी।