एक फ़िल्म जिसे भारत ने कभी देखना बंद नहीं किया। 1975 में जब देश इमरजेंसी के साए में था, एक फ़िल्म आई—बड़ी, जोखिम भरी, और पूरी तरह मनोरंजन के लिए बनी। ना आर्टहाउस, ना सरकारी प्रोपेगंडा। नाम था: शोले।
ये दोस्ती… शोले के साथ
- सिनेमा
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- 11 Aug, 2025

50 साल बाद भी ‘शोले’ का जादू बरकरार है।
फिल्म 'शोले' ने भारत में आपातकाल के कड़े समय में भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लिया। जानिए इस ऐतिहासिक फिल्म के बारे में, जो न केवल बॉलीवुड की धरोहर है, बल्कि भारतीय सिनेमा का मील का पत्थर भी बनी।
शुरुआत में थिएटर खाली रहे। लोग फुसफुसा कर बात करते थे। लेकिन फिर, फुसफुसाहटें सीटी में बदल गईं। स्कूल के बच्चे डायलॉग दोहराने लगे। पड़ोसी ने पड़ोसी से कहा—जाओ देखो। और भारत ने फिर कभी इस फ़िल्म को देखना बंद ही नहीं किया।
इस साल शोले को रिलीज़ हुए 50 साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन ये कोई उदासी का मौक़ा नहीं। ये 70mm और टेक्निकलर यादों का उत्सव है। कमर्शियल तूफ़ान जिसे ठीक से गिना नहीं गया शोले ने 1975 में ₹15 करोड़ की कमाई की थी—उस दौर में बड़ी रकम, लेकिन आज के हिसाब से मामूली। उस समय भारत की आबादी 62 करोड़ थी, टिकट ₹1.25 का मिलता था, और OTT का कोई वजूद नहीं था। फिर भी, शोले ने 12 करोड़ से ज़्यादा टिकट बेचे—यानी उस समय की आबादी का लगभग 20%।