हाथरस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन के रवैये पर चन्द्रशेखर आज़ाद रावण तीखा हमला करते हैं। उन्होंने कहा कि दलित लड़की के शव को बिना परिवार की मौजूदगी में देर रात को जला दिए जाने का साफ़ मतलब है कि यूपी सरकार और पुलिस सबूतों को ख़त्म करना चाहती है। उन्होंने और क्या कहा, विप्लव अवस्थी ने चन्द्रशेखर रावण से हाथरस कांड को लेकर ख़ास बातचीत की।
‘शव जलाने के बाद पोस्टमार्टम से कुछ नहीं मिलने वाला। हम लगातार माँग कर रहे थे कि दलित लड़की के शव के पोस्टमार्टम के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट दूध का दूध और पानी का पानी कर देती। यूपी सरकार और पुलिस लगातार झूठ बोल रही है कि दलित परिवार की बेटी के साथ दुष्कर्म हुआ ही नहीं, ये सरासर झूठ है, आपने ख़ुद शव का आधी रात अंतिम संस्कार करके सबूतों को ख़त्म कर दिया।’
‘यूपी में अपराधियों का बोल बाला है, वो कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं। योगी की सरकार में, पहले ये अपराधी करते थे अब सरकार की शह पर ये यूपी पुलिस कर रही है। यूपी में न्याय मिलने की उम्मीद ख़त्म है।’
‘आरोपी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के हैं, इसलिए पुलिस को घटना पर कार्यवाही के लिए इतनी देर लगी। 14 सितंबर की घटना है और दलित लड़की का 22 सितंबर को मेडिकल हुआ। अगर पुलिस चाहती तो अलीगढ़ से दिल्ली के एम्स भर्ती करवा सकती थी लेकिन पुलिस ने सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया। सही समय से इलाज न मिलने के कारण लड़की ने दम तोड़ दिया।’
‘मान लीजिए कि अगर आरोपी दलित या मुसलिम धर्म के होते तो अभी तक उनके घर की बहन-बेटियों की खाल उतार ली जाती और हिन्दू संगठन नंगा नाच कर रहे होते। लेकिन दुष्कर्म की शिकार दलित परिवार से संबंधित है इसलिए अब तक किसी भी हिन्दू संगठन ने आकर इंसाफ़ की माँग नहीं की।’
‘दुष्कर्म की शिकार बेटी के शव को माँगने का प्रयास जब परिजनों ने किया तो उल्टा परिजनों को ही धमकाया गया। बेटी का परिवार खौफजदा है। अभी तो गाँव में पुलिस है लेकिन पुलिस के जाने के बाद दलित परिवार की सुरक्षा सवालों के घेरे में है। यूपी में अब दलित सुरक्षित नहीं हैं। अगर यही घटना किसी दूसरी जाति की बेटी के साथ होती तो पूरा देश खड़ा हो जाता, इंडिया गेट पर कैंडिल मार्च शुरू हो जाते, लेकिन हाथरस की बेटी एक दलित परिवार की बेटी है इसलिए इंसाफ माँगने पर परिवार के लोगों को ही उल्टा दबाया जा रहा है।’
‘भारत में जातियाँ एक हक़ीक़त है। सेना के जवानों के साथ भी जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता है। 3 ऐसे मामले देखे जहाँ दलित परिवार के सेना के जवान के साथ भेदभाव किया गया। सेना में काम करने के दौरान अगर दलित समाज का बेटा शहीद हो जाता है तो डीएम और एसएसपी भी उसके घर नहीं आते हैं जबकि दूसरी जाति के शहीद के लिए पूरा देश निकल पड़ता है।’
‘सरकारें दलितों को सुरक्षा देने में नाकाम हो चुकी हैं। 10 लाख दलितों को शस्त्रों का लाईसेंस जारी किया जाना चाहिए और लाईसेंस का आधा ख़र्चा सरकार को सब्सिडी के तौर पर वहन करना चाहिए।’
‘दलित समाज का बीजेपी से विश्वास उठ गया है, लगातार हो रही घटनाएँ योगी सरकार की मानसिकता को बता रही हैं कि वो दलितों को कीड़े-मकोड़े समझ रही है। लेकिन योगी सरकार को समझना चाहिए कि अगर दलित खड़ा हो गया तो बड़ी-बड़ी सरकारों की जड़ों को खोद देगा।’