यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत में जिस तरह से चुनाव में वोट देने के लिए मुख्य तौर पर जाति का मुद्दा छाया रहता है, क्या उस तरह से जाति का मुद्दा दिल्ली में है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर आख़िर किस आधार पर आप और बीजेपी के बीच वोटर बँटे हुए हैं? क्या वोटर सामाजिक-आर्थिक आधार पर बँटे हुए हैं और इसी आधार पर राजनीतिक दलों को वोट देते हैं?