विवादास्पद मुद्दों पर अभियुक्त का नाम आते ही या उसकी गिरफ़्तारी होते ही टीवी जिस तरह से बेबुनियाद खबरें चलाता है और बेसिरपैर की बहस करता है, उस पर दिल्ली की एक अदालत ने बेहद अहम फ़ैसला सुनाते हुए मीडिया की तीखी आलोचना की है। यह बात उसने दिल्ली दंगों में गिरफ़्तार उमर ख़ालिद के मसले पर कही है।
'पुलिस को दिये बयान के आधार पर मीडिया ट्रायल ग़ैरज़िम्मेदार पत्रकारिता'
- दिल्ली
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- 23 Jan, 2021
ग़ैर ज़िम्मेदार टीवी कवरेज और मीडिया ट्रायल के लिये टीवी चैनेल काफ़ी बदनाम हो चुके हैं। उनकी तीखी आलोचना भी हो रही है। फिर भी वे सुधरने को तैयार नहीं है। अब दिल्ली की एक अदालत ने टीवी चैनलों को आड़े हाथों लिया है ।

बेसिरपैर की टीवी बहस
दिल्ली की एक अदालत में मुख्य मेट्रोपोलिट मजिस्ट्रेट ने मीडिया को फटकार लगाते हुये कहा है कि दोषी साबित होने तक अभियुक्त के निर्दोष माने जाने के अधिकार को खत्म नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि पुलिस के सामने दिए गए अभियुक्त के बयान को सबूत नहीं माना जाना चाहिए।