केजरीवाल सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में 1 अगस्त से फिर से पुरानी आबकारी नीति के तहत शराब बेची जाएगी। बता दें कि नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली में अच्छा-खासा बवाल हो चुका है और इस मामले में उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तमाम गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
उप राज्यपाल ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर उनकी मंजूरी के बिना लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। जबकि आम आदमी पार्टी ने कहा था कि केंद्र सरकार नई आबकारी नीति में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा है कि बीजेपी दुकानदारों को डरा कर एक अगस्त से दिल्ली में वैध दुकानें ख़त्म कर अवैध शराब का धंधा चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ऐसा नहीं होने देगी और फ़िलहाल नई पॉलिसी बंद कर शराब की सरकारी दुकान खोलने के आदेश दिए गए हैं ताकि दिल्ली में कोई अवैध शराब न बेच पाए।
दिल्ली सरकार के तर्क
दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में नई आबकारी नीति को सामने रखा था। नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार का तर्क था कि दिल्ली में 849 शराब की दुकानों में से 60 फ़ीसदी दुकानें सरकार की हैं और ये दुकानें निजी दुकानों के मुक़ाबले सरकार को बहुत कम टैक्स देती हैं। सरकार का कहना था कि दिल्ली में शराब माफ़िया की जबरदस्त पकड़ है और सरकार की 849 दुकानों के अलावा 2 हज़ार दुकानें शराब माफिया चलाते हैं। ये दुकानें घरों-गोदामों से चलती हैं।
सरकार का कहना था कि सरकारी दुकानों में टैक्स चोरी से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं और बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी हो रही है।
सरकार ने कहा था कि नई शराब नीति का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में शराब माफ़ियाओं पर शिकंजा कसना और शराब की बिक्री से दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ाना है। सरकार का दावा था कि इससे अवैध शराब का कारोबार ख़त्म हो जाएगा।
शराब की दुकानों के बाहर हुजूम
दिल्ली में नई आबकारी नीति का एलान होने के बाद शराब की दुकानों के बाहर लंबे वक्त तक अच्छी-खासी लाइनें लगी रही। इसकी वजह यह थी कि शराब की एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री मिल रही थी और एक पेटी के साथ एक पेटी फ्री। कई जगहों पर शराब की कीमत बहुत ज्यादा गिरा दी गई थी।
नई आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार का कहना था कि शराब की दुकानों को पॉश और स्टाइलिश दुकानों में बदला जाएगा। इस नीति में यह भी कहा गया था कि शराब पीने वाले अब सुबह 3 बजे तक होटल, क्लब, रेस्तरां और बार में आराम से शराब पी सकते हैं।
नई आबकारी नीति आने के बाद शराब बेहद सस्ती हो गई थी। कई शराब विक्रेताओं ने एमआरपी पर 40 प्रतिशत तक छूट दी थी।
![Delhi government withdrawn new excise policy - Satya Hindi Delhi government withdrawn new excise policy - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.cdn.digitaloceanspaces.com/app/uploads/30-03-22/624455654f342.jpg)
साफ़ है कि नई शराब नीति से कंपनियों और दुकानदारों को छूट मिली कि वे एमआरपी से कम दाम पर शराब बेच सकते थे। क़ीमतें कम होने से उनकी बिक्री ज़्यादा हो गई थी और इससे कंपनियों और दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी। लेकिन बड़ी संख्या में लोग शराब के नशे में डूबने लगे और यह मुद्दा एक बड़ी सामाजिक चिंता के रूप में सामने आया।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर दिल्ली की केजरीवाल सरकार नई आबकारी नीति को लेकर बैकफुट पर क्यों आ गई। अगर उसने कोई गड़बड़ी नहीं की थी तो उसे पुरानी आबकारी नीति पर टिके रहना चाहिए था। क्या इसके पीछे वजह उपराज्यपाल के द्वारा इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश किया जाना है?
मनीष सिसोदिया का कहना है कि नई आबकारी नीति से बीजेपी का भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाता और साल में 9,500 करोड़ का राजस्व दिल्ली सरकार को मिल सकता था।
बीजेपी, कांग्रेस ने खोला था मोर्चा
नई शराब नीति को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बीजेपी का कहना था कि नई शराब नीति के नाम पर केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी ने हजारों करोड़ों रुपए का घोटाला किया है और इसलिए मनीष सिसोदिया को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दिल्ली कांग्रेस ने भी इस मामले में आम आदमी पार्टी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था।
जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कहा था कि सीबीआई मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। बताना होगा कि भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल की सलाखों के पीछे हैं।
अपनी राय बतायें