दिल्ली दंगों के मुसलमान अभियुक्तों की पैरवी कर रहे महमूद प्राचा के दफ़्तर पर छापा मारने की पुलिस की कार्रवाई किस तरह दोषपूर्ण, एकतरफा और भेदभाव पर आधारित थी, यह अब खुल कर सामने आ रहा है। यह भी साफ हो रहा है उन पर झूठा गवाह पेश करने का आरोप बेबुनियाद है और इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद है।