दिल्ली दंगों के मुसलमान अभियुक्तों की पैरवी कर रहे महमूद प्राचा के दफ़्तर पर छापा मारने की पुलिस की कार्रवाई किस तरह दोषपूर्ण, एकतरफा और भेदभाव पर आधारित थी, यह अब खुल कर सामने आ रहा है। यह भी साफ हो रहा है उन पर झूठा गवाह पेश करने का आरोप बेबुनियाद है और इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद है।
महमूद प्राचा पर झूठा गवाह पेश करने का आरोप बेबुनियाद?
- दिल्ली
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- 30 Dec, 2020
दिल्ली दंगों के मुसलमान अभियुक्तों की पैरवी कर रहे महमूद प्राचा के दफ़्तर पर छापा मारने की पुलिस की कार्रवाई किस तरह दोषपूर्ण, एकतरफा और भेदभाव पर आधारित थी, यह अब खुल कर सामने आ रहा है।

झूठ बोल रही है दिल्ली पुलिस
जिस इरशाद अली को बुलाने और अदालत में ग़लत जानकारी देने के लिए कहने के आरोप में प्राचा के यहाँ छापा मारा गया, उनके बयान से साफ है कि पुलिस झूठ बोल रही है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इरशाद अली ने इससे इनकार किया है कि प्राचा ने उन्हें अपने यहाँ बुलाया था। उन्होंने कहा कि वे ख़ुद प्राचा के दफ़्तर गए थे। उनका यह भी कहना है कि पुलिस ने अभियुक्तों को ग़लत तरीके से फँसाया है।
इरशाद अली ने 4 मार्च, 2020 को पुलिस में शिकायत की कि मूंगा नगर स्थित गद्दों की उसकी दुकान पर कुछ लोगों ने हमला किया, तोड़फोड़ की, उन्हें 17-18 लाख रुपए का नुक़सान हुआ, उस स्थान के मालिक को 10 लाख रुपए का नुक़सान हुआ।