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दिल्ली दंगा: धार्मिक नफ़रत नहीं किसी और वजह से हुई अंकित की हत्या!

दिल्ली में दंगों के दौरान इंटेलीजेंस ब्यूरो के नौजवान अफ़सर अंकित शर्मा का शव नाले में मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात सामने आई थी कि अंकित के शव पर चाकू के 54 निशान थे। अंकित की हत्या मामले की जांच कर रही पुलिस को शक है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि अंकित की हत्या टारगेट किलिंग हो यानी कि उसे जानबूझकर या योजना बनाकर निशाना बनाया गया हो। इसका यह भी मतलब है कि दंगों के दौरान धार्मिक नफरत के कारण अंकित की हत्या की संभावना कम दिखती है। 

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अंकित 25 फ़रवरी को शाम 5 बजे ऑफ़िस से आया था और उसके बाद अपने कुछ दोस्तों के साथ बाहर घूमने निकला था। अंकित कालू और अपने कुछ और दोस्तों के साथ पुलिया के एक किनारे पर खड़ा था और दूसरी ओर से जबरदस्त पथराव हो रहा था। अंकित सबसे आगे खड़ा था। अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) में छपी ख़बर के मुताबिक़, ‘प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि अंकित को एक पत्थर लगा और वह गिर गया। तभी दूसरी ओर से तीन-चार लोग आये और उन्होंने अंकित को दबोच लिया और उसे घसीटते हुए दूसरी ओर ले गये।’ टीओआई ने सूत्र के हवाले से कहा है कि यह अजीब बात थी कि उन्होंने अंकित के अलावा किसी और को छुआ तक नहीं। 

शायद इसके बाद अंकित को किसी घर में ले जाया गया क्योंकि इस घटना के बाद उसे किसी ने नहीं देखा। घर में ले जाकर अंकित को नग्न किया गया और बेरहमी से मारा गया। इसके बाद उसे घसीटकर नाले में डाल दिया गया। अंकित के शव पर सिर्फ़ अंडरगारमेंट थे। 

अंकित की हत्या से जुड़े घटनाक्रमों के विश्लेषण और डॉक्टरों की राय के बाद यह बात स्पष्ट होती दिखती है कि अंकित की हत्या किसी उद्देश्य से की गई थी। ख़ुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टीओआई को बताया, ‘घटनाक्रमों से इस बात का संकेत मिलता है कि हत्यारे कुछ संदेश देने की कोशिश कर रहे थे और जो हमने देखा है, यह उससे ज़्यादा बड़ा मामला है।’ 

पुलिस इस मामले में टारगेट किलिंग को ही जांच का आधार मान रही है। जांच में शामिल एक अधिकारी ने टीओआई से कहा, ‘अंकित का अपहरण कर उसे दूर ले जाया गया और भीड़ ने उसे घटनास्थल पर नहीं मारा। शव की हालत देखकर साफ पता चलता है कि बदला लेने के इरादे से अंकित की हत्या की गई है।’ अधिकारी ने कहा कि भीड़ के द्वारा कभी भी इस तरह किसी को नहीं मारा जाता। 

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बांग्लादेशी अपराधी भी थे मौजूद 

अख़बार की ओर से यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें किसी पर शक हुआ है, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा वे लोग मौक़े पर मौजूद लोगों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर अंकित को घसीटकर ले जाने वाले लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि उस दौरान इस इलाक़े में बांग्लादेशी अपराधियों के समूहों के सक्रिय होने की जानकारी मिली है, हम लोग उनके बारे में भी जानकारी जुटा रहे हैं। 

अधिकारियों के बयानों से यह पता चलता है कि अंकित की हत्या हिंदू-मुसलिम दंगों के दौरान हुई बाक़ी हत्याओं से अलग है। अंकित के परिजनों की ओर से आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन पर उनके बेटे की हत्या करने का आरोप लगाया गया है। लेकिन हुसैन ने कई बार कहा है कि वह इस मामले में पूरी तरह बेकसूर हैं और किसी भी जांच का सामने करने के लिये तैयार हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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