दिल्ली की अदालत को सत्येंद्र जैन पर चले भ्रष्टाचार मामले को बंद क्यों करना पड़ा? CBI ने चार साल में आख़िर क्या सबूत जुटाए और यदि कोई सबूत नहीं थे तो केस अब तक कैसे चला? जानिए इस फैसले के राजनीतिक मायने।
आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ पीडब्ल्यूडी भर्ती मामले में दिल्ली कोर्ट ने चौंकाने वाला फ़ैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस केस को बंद कर दिया है। चार साल की जांच के बाद सीबीआई ने माना कि जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला और इस मामले में इसने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। तो अब बीजेपी पर सवाल उठ रहे हैं- क्या यह एक राजनीतिक साजिश थी? अब क्या जवाबदेही होगी?
यह मामला मई 2018 में दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की शिकायत पर शुरू हुआ था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उस समय दिल्ली सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने 17 सदस्यीय सलाहकारों की एक 'क्रिएटिव टीम' की भर्ती को मंजूरी दी थी। यह भर्ती कथित तौर पर सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए आउटसोर्सिंग के ज़रिए की गई थी। सतर्कता विभाग ने दावा किया था कि जैन और अन्य पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने निविदा की शर्तों में बदलाव करके एक निजी कंपनी सोनी डिटेक्टिव्स एंड एलाइड सर्विसेज को फायदा पहुंचाया। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया था कि भर्ती के लिए अनधिकृत बजट आवंटन किया गया और परियोजना के फंड का दुरुपयोग हुआ।
सीबीआई ने इस मामले में 28 मई 2018 को एफआईआर दर्ज की थी और जांच शुरू की थी। जांच में यह भी देखा गया कि क्या भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी थी, क्या इसकी जरूरत थी और क्या इससे दिल्ली सरकार को कोई वित्तीय नुकसान हुआ। चार साल की जाँच के बाद सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी थी। विज्ञापन के ज़रिए 1700 आवेदन प्राप्त हुए थे और चयन पूरी तरह से योग्यता के आधार पर किया गया था। सीबीआई ने यह भी पाया कि विशेषज्ञों की भर्ती विभाग की तत्काल जरूरतों के लिए आवश्यक थी, और इसमें कोई आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार, या व्यक्तिगत लाभ का सबूत नहीं मिला।
राउज एवेन्यू कोर्ट का फ़ैसला
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में यह मामला चल रहा था। विशेष न्यायाधीश दिग्विजय सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा, 'चार साल की लंबी जांच के बाद जांच एजेंसी को कोई भी अपराध साबित करने वाला सबूत नहीं मिला, खासकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत। इस स्थिति में आगे की कार्यवाही का कोई उपयोगी उद्देश्य नहीं होगा।'
जज ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने साफ़ किया कि भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत जरूरी हैं, और इस मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं था।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में कोई नया सबूत सामने आता है तो सीबीआई को मामले की दोबारा जांच करने की छूट होगी। हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों में कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को बंद कर दिया।
आप का पक्ष और बीजेपी पर निशाना
मामले के बंद होने के बाद दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता और आप की वरिष्ठ नेता आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने अपनी केंद्रीय एजेंसियों के जरिए सत्येंद्र जैन पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए। यह दावा किया गया कि पीडब्ल्यूडी में अनुचित भर्ती और गलत तरीके से वेतन का भुगतान किया गया। लेकिन आज, सीबीआई विशेष कोर्ट ने स्वीकार किया कि ये सभी आरोप निराधार थे। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसका मतलब है कि यह मामला अब पूरी तरह बंद हो चुका है।'
आप नेताओं और समर्थकों ने इस फ़ैसले को 'सत्यमेव जयते' करार देते हुए बीजेपी पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। आप के एक अन्य नेता मनीष सिसोदिया ने पहले एक पोस्ट में कहा था कि बीजेपी ने सत्येंद्र जैन को झूठे आरोपों में लंबे समय तक जेल में रखा और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
इस मामले ने एक बार फिर बीजेपी और आप के बीच राजनीतिक तनातनी को उजागर किया है। आप का आरोप है कि बीजेपी ने सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके आप नेताओं को निशाना बनाया। सत्येंद्र जैन के खिलाफ यह मामला उन कई मामलों में से एक है, जिनमें आप नेताओं को भ्रष्टाचार और धन शोधन के आरोपों में घेरने की कोशिश की गई।
आप के समर्थकों और कुछ विश्लेषकों ने सवाल उठाया है कि जब जाँच में कोई सबूत नहीं मिला तो जैन को इतने लंबे समय तक जांच के दायरे में क्यों रखा गया? क्या यह केवल उनकी छवि को खराब करने और आप की राजनीतिक विश्वसनीयता को कमजोर करने का प्रयास था? एक एक्स यूजर ने लिखा, 'सीबीआई ने सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और कोर्ट ने केस बंद कर दिया। बीजेपी ने दिल्ली को ऐसे झूठे मामलों से गुमराह किया। क्या ऐसी राजनीति की कोई जवाबदेही नहीं है?'
हालाँकि, पीडब्ल्यूडी भर्ती मामले में जैन को राहत मिली है, लेकिन उनके ख़िलाफ़ अन्य मामले अभी भी चल रहे हैं। सीबीआई ने जनवरी 2025 में एक अन्य मामले में जैन के खिलाफ डिसप्रपोर्शनेट असेट्स के आरोप में अभियोजन की मंजूरी प्राप्त करने की बात कही थी। इसके अलावा, ईडी ने मई 2022 में धन शोधन के एक मामले में जैन को गिरफ्तार किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2024 में खारिज कर दिया था। हाल ही में मार्च 2025 में दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने जैन के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया, जिसमें उन पर सीसीटीवी परियोजना में 16 करोड़ रुपये की जुर्माने की छूट देने के लिए 7 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है।
सत्येंद्र जैन के खिलाफ पीडब्ल्यूडी भर्ती मामले का बंद होना उनके लिए एक बड़ी कानूनी जीत है, लेकिन यह मामला भारत में जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग और राजनीतिक बदले की भावना के व्यापक सवालों को उठाता है। आप ने इस फैसले को अपनी नैतिक जीत के रूप में पेश किया है। जबकि बीजेपी और जांच एजेंसियों की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। क्या बिना सबूत के किसी को लंबे समय तक जांच के दायरे में रखना और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना सही है?