दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ यानी DUSU चुनाव के परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार में से तीन प्रमुख पदों अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर जीत हासिल की। दूसरी ओर, कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया यानी एनएसयूआई को केवल उपाध्यक्ष का पद मिला। इस साल के चुनाव में 39.36% मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले साल के 35.2% की तुलना में मामूली बढ़ोतरी है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हुई। 21 राउंड की गिनती के बाद एबीवीपी के आर्यन मान ने 28821 वोटों के साथ अध्यक्ष पद पर शानदार जीत हासिल की, जबकि एनएसयूआई की जोस्लिन नंदिता चौधरी को 12645 वोट मिले। वामपंथी समर्थित एसएफ़आई-AISA गठबंधन की उम्मीदवार अंजलि को 5385 वोटों के साथ तीसरा स्थान मिला।
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सचिव पद पर एबीवीपी के कुणाल चौधरी ने 23779 वोटों के साथ जीत दर्ज की, जबकि एनएसयूआई के कबीर को 9525 वोट मिले। संयुक्त सचिव पद पर भी एबीवीपी की दीपिका झा ने 21825 वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि एनएसयूआई के लवकुश भड़ाना को 17380 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के राहुल झांसला ने 29339 वोटों के साथ जीत हासिल की, जो एबीवीपी के गोविंद तंवर (20547 वोट) से 8792 वोटों से आगे रहे।

एक्स पर एक पोस्ट में एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि पार्टी ने इस अजीब चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया - सिर्फ एबीवीपी के खिलाफ नहीं, बल्कि डीयू प्रशासन, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, आरएसएस-भाजपा और दिल्ली पुलिस की संयुक्त ताकत के खिलाफ भी।
उन्होंने कहा, 'फिर भी, हजारों डीयू के छात्र हमारे साथ मजबूती से खड़े रहे और हमारे उम्मीदवारों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। एनएसयूआई पैनल से चुने गए नए डीयूएसयू उपाध्यक्ष राहुल झांसला और सभी विजयी पदाधिकारियों को शुभकामनाएं। जीत या हार, एनएसयूआई हमेशा आम छात्रों, उनकी समस्याओं और डीयू को बचाने के लिए लड़ती रहेगी। हम और मज़बूत होते रहेंगे।'

चुनावी माहौल और विवाद

18 सितंबर को हुए मतदान में 2.75 लाख से अधिक पात्र छात्रों ने 50 से अधिक संबद्ध कॉलेजों में अपने मत डाले। इस बार 195 मतदान केंद्रों पर 711 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग किया गया। चुनाव प्रक्रिया विवादों से अछूती नहीं रही। एबीवीपी और एनएसयूआई ने एक-दूसरे पर हिंसा और मतदान में धांधली के आरोप लगाए। एबीवीपी ने एनएसयूआई के निवर्तमान अध्यक्ष रौनक खत्री पर किरोड़ी मल कॉलेज में बाहरी लोगों के साथ घुसकर हंगामा करने और एक छात्र को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया। वहीं, एनएसयूआई की प्रेसिडेंट उम्मीदवार जोस्लिन नंदिता चौधरी ने दावा किया कि कई ईवीएम पर एबीवीपी उम्मीदवारों के नाम के आगे नीली स्याही के निशान थे, जिसे उन्होंने मतदान में गड़बड़ी का सबूत बताया। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने भी दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर एबीवीपी के पक्ष में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। एबीवीपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएसयूआई हार के डर से निराधार आरोप लगा रही है। 
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डीयूएसयू चुनाव को भारतीय राजनीति का एक मिनी-लिटमस टेस्ट माना जाता है, क्योंकि यह युवाओं के बीच राजनीतिक मूड को दिखाता है। इसकी गूंज दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसरों से परे राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देती है। अरुण जेटली, अजय माकन, और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जैसे कई पूर्व DUSU नेता राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं।

एबीवीपी की इस जीत ने एक बार फिर उनकी मजबूत पकड़ को साबित किया है, जो पिछले एक दशक से DUSU में उनका वर्चस्व रहा है। हालांकि, NSUI की उपाध्यक्ष पद पर जीत ने यह संकेत दिया कि छात्रों के बीच उनकी अपील अभी भी बरकरार है।