loader
प्रतीकात्मक औऱ फाइल फोटो

क्या जाति जनगणना के सवाल ने भाजपा को परेशानी में डाल दिया है? 

जाति जनगणना पर भाजपा असमंजस में नजर आ रही है। जाति जनगणना को लेकर पार्टी नेताओं से सलाह - मशविरे के लिए भाजपा नेतृत्व ने गुरुवार को पार्टी के विभिन्न नेताओं के साथ गुरुवार को नई दिल्ली में एक बैठक की है। 
इस बैठक में भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने जाति जनगणना को लेकर पार्टी के नेताओं से उनके विचार जाने है। भाजपा इंडिया गठबंधन और खासकर कांग्रेस द्वारा जाति जनगणना की मांग से परेशान है। यह बैठक विपक्ष की इस मांग से मुकाबला करने की रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई गई थी। 
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को अमित शाह की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फड़नवीस सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सहित राज्यों के वरिष्ठ भाजपा नेता शामिल हुए। इसमें ओबीसी आउटरीच को आकार देने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। 
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसमें जाति गणना न कराने की पार्टी की वर्तमान नीति के "फायदे और नुकसान" पर चर्चा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि ओबीसी आउटरीच कार्यक्रम तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि  पार्टी जाति जनगणना को लेकर अनिच्छुक है क्योंकि उसे लगता है कि इस तरह की कवायद ओबीसी समुदायों के बीच एकजुट होने की उसकी रणनीति को खतरे में डाल सकती है। इसके बजाय, पार्टी पिछड़े समुदायों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं और पहलों को पेश करने पर भरोसा कर रही है। 
ताजा ख़बरें

यूपी भाजपा के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

इंडियन ए्क्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है  कि इस बैठक के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी की यूपी इकाई ने आखिरी समय में लखनऊ में अपने अनुसूचित जाति सम्मेलन को स्थगित करने का फैसला किया क्योंकि योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया गया था।
बैठक में आदित्यनाथ के अलावा, यूपी के कई भाजपा नेता शामिल हुए, जिनमें दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के साथ-साथ सांसद संगम लाल गुप्ता और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति शामिल थी। 
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से पार्टी ने 2019 में 62 सीटें जीतीं थी। पार्टी राज्य में अपना गढ़ बरकरार रखने की इच्छुक है, जहां ओबीसी के वोट चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हालांकि, जाति जनगणना के मुद्दे पर, भाजपा खुद को अपने दीर्घकालिक सहयोगियों जैसे अपना दल, जिसका पूर्वी यूपी में पटेलों के बीच एक महत्वपूर्ण आधार है और निशाद पार्टी, जिसका मछुआरा समुदाय के बीच एक आधार है, से भी खुद को अलग-थलग पा रही है।
ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए पार्टी के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के बारे में पूछे जाने पर एक भाजपा नेता ने कहा कि  "गुलदस्ता तो पूरा करेंगे ना "। उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य समाज के हर वर्ग को साथ लाना है। कुछ मुद्दे हो सकते हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है लेकिन हम इस चुनाव में बड़े पैमाने पर ओबीसी समेत सभी को अपने साथ लाने का संकल्प लेंगे।'' 
दिल्ली से और खबरें

यूपी में जल्द हो सकता है कैबिनेट विस्तार

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट सूत्रों के हवाले से कहती है कि गुरुवार की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व ने यूपी कैबिनेट का विस्तार कर अन्य लोगों के अलावा कुछ ओबीसी नेताओं को शामिल करने को हरी झंडी दे दी है। यूपी के एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा कि, ''आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए और संबंधित समुदायों को संदेश भेजने के लिए कैबिनेट विस्तार किया जाएगा।''
वर्तमान में, यूपी के योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में 20 से अधिक ओबीसी मंत्री हैं जो विभिन्न उप-जातियों-निषाद, पटेल, राजभर, मौर्य, जाट, लोध और यादव का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस  मंत्रिमंडल में प्रमुख ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य हैं, उनके साथ ही कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह और राकेश सचान, अनिल राजभर, संजय निषाद जो निशाद पार्टी के प्रमुख हैं, अपना दल (सोनेलाल) से आशीष पटेल, और जाट नेता लक्ष्मी नारायण चौधरी हैं,  स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों में, पूर्व सीएम और लोध नेता कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह हैं, गिरीश चंद्र यादव, धर्मवीर प्रजापति और रवींद्र जयसवाल शामिल हैं।
इनमें से प्रत्येक नेता राज्य के विभिन्न हिस्सों से एक अलग ओबीसी उप-जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, अधिकांश नेतृत्व पूर्वी यूपी से है जहां अपना दल (एस) और निषाद पार्टी की मजबूत उपस्थिति है। एक बीजेपी नेता ने कहा, ''इस प्रकार, राज्य के मध्य भागों से भी ओबीसी नेतृत्व विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।'' 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें