जेएनयू छात्र संघ यानी जेएनयूएसयू चुनाव 2025 में लेफ्ट यूनिटी ने एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। वामपंथी गठबंधन ने सभी चार प्रमुख पदों- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पर कब्जा जमा लिया। इसने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी को बड़े अंतर से हराया। यह जीत जेएनयू के छात्र राजनीति में लेफ्ट की मजबूत पकड़ को दिखाती है, जहां पिछले कई वर्षों से वामपंथी संगठन हावी रहे हैं। पिछले चुनाव में एबीवीपी ने एक पद जीता था।

बहरहाल, 2025 का चुनाव परिणाम गुरुवार देर रात घोषित किया गया। सीपीआई(एमएल) लिबरेशन, एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ जैसे संगठनों की लेफ्ट यूनिटी ने सभी पदों पर जीत हासिल की।
ताज़ा ख़बरें
अध्यक्ष: लेफ्ट यूनिटी की अदिति मिश्रा ने 1861 वोट हासिल कर शीर्ष पद पर कब्जा किया। उन्होंने एबीवीपी के विकास पटेल को 414 वोटों के अंतर से हराया, जिन्हें 1447 वोट मिले। 

उपाध्यक्ष: लेफ्ट की के. गोपिका ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उन्हें 2966 वोट मिले, जबकि एबीवीपी की तान्या कुमारी को 1730 वोट ही हासिल हुए। जीत का अंतर 1236 वोट रहा। 

महासचिव: सबसे काँटे की टक्कर इस पद पर हुई। लेफ्ट के सुनील यादव ने 1915 वोट लेकर जीत हासिल की, जबकि एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे को 1841 वोट मिले। यानी जीत का अंतर सिर्फ़ 74 वोटों का रहा। 

संयुक्त सचिव: लेफ्ट के दानिश अली ने 1991 वोट हासिल कर पद जीता। एबीवीपी के अनुज दमारा को 1762 वोट मिले, अंतर 229 वोट रहा। 
दिल्ली से और ख़बरें

चुनावी मुद्दे क्या रहे?

चुनाव में मुख्य मुद्दे रहे- हॉस्टल फीस में वृद्धि, कैंपस में पानी और बिजली की समस्या, छात्रवृत्ति में कटौती, लाइब्रेरी सुविधाओं का विस्तार और कैंपस में राजनीतिक स्वतंत्रता। 
  • लेफ्ट यूनिटी ने 'संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' और 'जेएनयू को कॉर्पोरेट हाथों में न जाने दो' जैसे नारे दिए। उन्होंने प्रशासन पर 'सफाई कर्मचारियों की कमी' और 'नए हॉस्टल न बनाने' का आरोप लगाया।
  • एबीवीपी ने 'राष्ट्रवाद', 'विकास' और 'कैंपस में अनुशासन' पर जोर दिया। उन्होंने लेफ्ट पर 'राजनीतिक हिंसा' और 'पढ़ाई से ध्यान भटकाने' का आरोप लगाया। 
जेएनयू छात्र संघ चुनाव पिछली बार नवंबर 2024 में हुए थे। उस चुनाव में लेफ्ट गठबंधन ने तीन प्रमुख पद जीते थे, जबकि एबीवीपी ने संयुक्त सचिव का पद हासिल किया था।