बालाकोट में फ़ौज की कार्रवाई का कोई भी दल राजनीतिक फ़ायदा उठाने या इसे निरर्थक सिद्ध करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश करे, ये दोनों बातें गलत हैं। स्वयं पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि बालाकोट पर भारत का हमला हुआ है (और वहाँ एक कबूतर मारा पाया गया) तो अब उसका प्रमाण देने की क्या ज़रूरत रह गई है?
पाकिस्तान के बालाकोट में कोई मरा या नहीं मरा, इससे क्या फर्क पड़ता है ? सबसे बड़ी बात यह हुई कि बालाकोट पर हमला करके हमारी फौज़ ने अदभुत और अपूर्व काम किया है। यह हमारी फौज़ की पहल थी। इसका सारा श्रेय फ़ौज को है।