गुजरात चुनाव में क्या इस बार बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलेगी? या फिर वह 27 साल से जारी सत्ता पर अपनी पकड़ को बरकरार रखेगी? आख़िर बीजेपी इतने सालों से गुजरात में सत्ता बरकरार कैसे रखे हुए है और क्या इस बार कुछ बदलाव के आसार हैं? आख़िर पिछले यानी 2017 के चुनाव नतीजे क्या संकेत देते हैं? क्या बीजेपी मज़बूत हुई थी या फिर कमजोर?
2017 के चुनाव नतीजों को जानने से पहले यह जान लें कि इस बार क्या हालात हैं। बीजेपी जिस आक्रामकता से चुनाव प्रचार कर रही है उसी आक्रामकता के साथ आम आदमी पार्टी भी कर रही है। हालाँकि, कांग्रेस अब तक इस चुनाव में सोशल मीडिया पर उतनी आक्रामक नहीं दिख रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि वह डोर टू डोर अभियान चला रही है।
लेकिन आम आदमी पार्टी यानी आप के आने से कुछ लोग चुनाव को त्रिकोणीय मुक़ाबला दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। आप बीजेपी को चुनौती देने का दावा कर रही है, लेकिन 2017 से पहले के चुनाव में आप चुनावी रण में नहीं रही थी। आम आदमी पार्टी ने साल 2017 में भी गुजरात का विधानसभा चुनाव लड़ा था हालांकि तब पार्टी ने सिर्फ 30 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी।
इस बार आप फिर से अपना किस्मत आजमा रही है। उसने जबरदस्त चुनाव प्रचार किया है और उसका दावा है कि वह बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रही है।
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2017 के चुनाव की ख़ास बात यह रही थी कि कांग्रेस चुनाव में वापसी करती हुई दिखी थी। उसने बीजेपी को कड़ी चुनौती दी थी। हर समुदाय के लोग कांग्रेस को अच्छी खासी संख्या में वोट देते हुए दिखे थे। 2017 के चुनाव में वोट डालने वाले लोगों का लोकनीति-सीएसडीएस ने सर्वे किया था। उस सर्वे के आधार पर आँकड़ों में बताया गया था कि किस समुदाय के कितने लोगों ने किस पार्टी को वोट दिया था।
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इस तरह देखा जा सकता है कि पटेल-पाटीदार समुदाय के 61% लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था जबकि सिर्फ़ 35% लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया था। दलितों में 39% लोगों ने बीजेपी को तो 53% लोगों ने कांग्रेस को, अगड़ी जाति में 55% लोगों ने बीजेपी को तो 36% लोगों ने कांग्रेस को और 27% मुसलिमों ने बीजेपी को तो 64% मुसलिमों ने कांग्रेस को वोट दिया था।
इन आँकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव के नतीजे कैसे आ सकते हैं। वैसे, गुजरात के चुनाव पर इस बार पूरे देश की नज़र है क्योंकि इसके नतीजे देश की राजनीति को बदलने वाले साबित हो सकते हैं। यदि बीजेपी चुनाव जीतती है तो मोदी-शाह की जोड़ी का देश की राजनीति में दबदबा बढ़ेगा ही, लेकिन यदि गुजरात का क़िला ढहता है तो फिर राजनीति में एक बड़े बदलाव शुरू होने के आसार हो जाएँगे।
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