loader

घर भेजे जाने की मांग को लेकर सूरत में फिर सड़क पर उतरे मजदूर

घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूरों ने सोमवार को एक बार फिर गुजरात के सूरत में जोरदार हंगामा किया। मजदूरों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैल के गोले छोड़े। प्रवासी मजदूरों की मांग थी कि उन्हें उनके घर वापस भेज दिया जाए। 

सूरत के कडोदारा इलाक़े में सोमवार दोपहर को बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर इकट़्ठा हो गए और उन्होंने घर जाने देने की मांग की। ख़बरों के मुताबिक़, मजदूरों ने पुलिस पर पत्थर भी फेंके। बताया जा रहा है कि प्रवासी मजदूर इस बात से नाराज थे कि इस संबंध में घोषणा होने के बाद भी उन्हें भेजने के लिए सही इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं और इस वजह से उनके सब्र का बांध टूट गया। इस दौरान उन्होंने नारेबाज़ी भी की। मजदूरों के हंगामे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

ताज़ा ख़बरें

28 अप्रैल को लॉकडाउन के दौरान भी काम कराए जाने का आरोप लगाते हुए सूरत में प्रवासी मजदूरों ने जमकर बवाल किया था। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, मजदूरों ने डायमंड बोर्स कंपनी के दफ़्तर पर पत्थर फेंके थे। उनकी मांग थी कि उन्हें उनके घर वापस भेजा जाए। 

उससे पहले सूरत के लस्काना में स्थित डायमंड नगर इंडस्ट्रियल एरिया की फ़ैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों ने भी प्रदर्शन किया था। तब मजदूरों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सड़कों को जाम कर दिया था और आगजनी की थी।

सूरत के अलावा मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर भी हज़ारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा हो गये थे और उनकी भी यही मांग थी कि उन्हें उनके घर भेजने की व्यवस्था की जाए।

लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूर महानगरों में फंस गए हैं। क्योंकि लॉकडाउन के बाद काम-धंधा चौपट हो चुका है और मजदूरों के लिए गुजर-बसर करना बेहद मुश्किल हो गया है। इन प्रवासी मजदूरों के पास न पैसे हैं और न ही राशन। 

गुजरात से और ख़बरें
मजदूरों के प्रदर्शन से दबाव में आते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों को लाने की अनुमति दे दी है और कई राज्यों से मजदूरों, छात्रों को उनके राज्य में ले जाया जा रहा है। लेकिन इसमें हो रही देरी की वजह से मजदूरों का आक्रोश चरम पर है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

गुजरात से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें