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नरोदा केस: फैसले पर बोले सिब्बल जश्न मनाएं या दुखी हों

गुजरात के अहमदाबाद के नरोदा गाम में 2002 में हुए भयानक दंगों में अहमदाबाद की विशेष अदालत का फैसला आ गया है। अदालत के इस फैसले में सभी 69 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। एक साथ 11 लोगों के हत्याकांड में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी, तथा विश्व हिंदू परिषद के नेता जयेश पटेल मुख्य आरोपी थे।
अदालत के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी दुख जताया है। उन्होंने पूछा कि ‘हमें कानून के शासन का जश्न मनाना चाहिए या फिर इसके निधन से निराश होना चाहिए’।
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कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'नरोदा गाम: 12 साल की एक लड़की सहित हमारे 11 नागरिकों की हत्या कर दी गई। 21 साल बाद 67 आरोपी बरी। क्या हमें कानून के शासन का जश्न मनाना चाहिए या निराशा को इसके निधन का जश्न मनाना चाहिए!'  
सिब्बल के अलावा इस मसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी हमला बोला है। इसके लिए ओवैसी ने राहत इंदौरी की शायरी का सहारा लिया। उन्होंने कहा, 'आप जहां भी जाते हैं, अपने पीछे धुआं छोड़ते जाते हैं, आप जहां भी जाते हैं अराजकता पैदा करते हैं। राजनीति ने आपको उपजाऊ जमीन पर भी खून के निशान छोड़ने का अधिकार दिया है। आप ही अपील हैं, दो मामले में बहस करते हैं, आप ही गवाह हैं। आप किसी को बुरा-भला कहने के लिए स्वतंत्र हैं, किसी को मारने के लिए स्वतंत्र हैं।'
पीड़ित परिवारों के एक वकील ने कहा कि विशेष अदालत के फ़ैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी, उन्हें न्याय से वंचित किया है। आरोपियों ने इस फैसले को 'सच्चाई की जीत' बताया।
विशेष जांच दल (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस के बक्सी की अहमदाबाद स्थित अदालत ने 27 फरवरी, 2002 को साबरमती ट्रेन नरसंहार के बाद राज्यव्यापी दंगों के दौरान सबसे भीषण नरसंहारों में से एक में सभी 69 आरोपियों को बरी कर दिया गया। नरोदा गाम मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने की थी।
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2002 के गुजरात दंगा मामलों के त्वरित ट्रायल के लिए गठित न्यायाधीश शुभदा कृष्णकांत बक्सी की विशेष रूप से नियुक्त अदालत ने 5 अप्रैल को कार्यवाही समाप्त कर दी थी। मामले के 86 अभियुक्तों में से 17 को मुक़दमे के दौरान हटा दिया गया था, जबकि 69 अभियुक्तों पर ट्रायल चलाया गया था। सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। मामले में करीब 182 गवाहों से पूछताछ की गई थी।  
इस मामले में निचली अदालत ने इन सभी को दंगों का गुनाहगार माना था। इसके लिए मुख्य आरोपी माया कोडनानी को 28 साल जेल की सजा भी सुनाई गई थी। कोडनानी के अलावा बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सात अन्य लोगों को 21 साल के आजीवन कारावास तथा बाकी अन्य लोगों को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। 29 लोगों को बरी किये जाने के खिलाफ एसआईटी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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