नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले लोगों का डर बेवजह नहीं है। भले ही मोदी सरकार लाख बार कहे कि इस क़ानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। लेकिन नागरिकता जाने की बात ही रूह कंपा देने वाली है और शायद इसीलिये लाखों लोग इस क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। एनडीटीवी के मुताबिक़, असम में रहने वाली 50 साल की एक महिला जाबेदा बेगम दिन-रात अपनी नागरिकता साबित करने की लड़ाई लड़ रही है। जाबेदा की ख़बर पढ़कर आप सोचने को मजबूर होंगे कि आख़िर शाहीन बाग़ की महिलाएं इतनी ठंड में भी धरने से क्यों नहीं उठीं।